Haryana में बहुजन समाज पार्टी(बसपा) को गठबंधन की राजनीति में अभी तक बड़ी सफलता नहीं मिल पाई है। सन् 1998 के लोकसभा चुनाव में जब बसपा ने इनेलो के साथ गठबंधन किया था, तब से लेकर अब तक बसपा के लिए हरियाणा में गठबंधन का सफर कठिन रहा है। बसपा की सुप्रीमो मायावती ने बार-बार हरियाणा को अपने राजनीतिक एजेंडे की प्राथमिकता में रखने में ध्यान नहीं दिया है, जिसके कारण उनके गठबंधनों को कभी भी सफलता नहीं मिली। वहीं बसपा-इनेलो(BSP-INLD) की चंडीगढ़ में कल प्रैसवार्ता का आयोजन(press conference in Chandigarh tomorrow) किया जाएगा।
बसपा ने इस बार फिर से हरियाणा में गठबंधन करने का फैसला किया है। इस बार बसपा और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के बीच गठबंधन की घोषणा 11 जुलाई को चंडीगढ़ में होगी। गठबंधन के साथ, बसपा और इनेलो के नेता भी मिलकर चुनावी रणनीति को तैयार करेंगे। इनेलो के प्रमुख महासचिव अभय सिंह चौटाला ने शनिवार को नई दिल्ली में बसपा के अध्यक्ष मायावती से मुलाकात की और हरियाणा में चुनावी गठजोड़ के लिए तैयारी की। यह गठबंधन पहली बार सन् 2018 में हुआ था, जब अभय सिंह चौटाला ने मायावती के साथ राखी बांधकर इस गठबंधन को मजबूती से जीता था, लेकिन बाद में इसे टूट जाने पर फिर से संबंध बनाने की कोशिश की गई है।
हरियाणा में बसपा का पिछला गठबंधन 2018 के चुनावों में काफी ध्यान बनाया था, लेकिन बसपा को उस समय चार सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। अब इस बार के चुनाव में बसपा और इनेलो के बीच का गठबंधन एक नया कदम है, जिसमें दोनों दलों ने चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार करने का फैसला किया है।
इस गठबंधन का मकसद है कि बसपा और इनेलो मिलकर अपनी सांसदों को हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर चुनौती दे सकें। बसपा और इनेलो के बीच गठबंधन के बारे में आगामी दिनों में और अधिक जानकारी सामने आ सकती है, जब दोनों दलों के नेता चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ़्रेंस करेंगे। बसपा और इनेलो के बीच की इस गठबंधन की संभावना बढ़ती जा रही है और हरियाणा की राजनीतिक दलों के बीच नए गठबंधन के चलते चुनाव में मजबूती आ सकती है।