विधायक उमेद सिंह पातुवास

Charkhi Dadri माइनिंग पंचायत में विधायक की पहल, बकाया राशि का भुगतान और सड़क निर्माण योजना का ऐलान

चरखी दादरी

Charkhi Dadri जिले के गांव पिचौपा कलां में पहाड़ी खिसकने के मामले के बाद बाढ़ड़ा विधायक उमेद सिंह पातुवास शनिवार को माइनिंग क्षेत्र पहुंचे। इस दौरान उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और माइनिंग कंपनी द्वारा की जा रही गतिविधियों का जायजा लिया।

ग्रामीणों का रोष बरकरार, माइनिंग बंद करने की मांग

विधायक के साथ-साथ खाप पंचायतों के पदाधिकारी भी माइनिंग क्षेत्र में पहुंचे थे। यहां पर ग्रामीणों ने माइनिंग कंपनी के खिलाफ रोष प्रकट किया और एक सुर में माइनिंग बंद करने की मांग की। ग्रामीणों का कहना था कि कंपनी द्वारा माइनिंग के कारण पर्यावरण को नुकसान हो रहा है और उनकी सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा है।

पंचायत में सुनी गई ग्रामीणों की मांगें

माइनिंग कंपनी के संचालक और अन्य अधिकारियों को पंचायत में बुलाया गया, जहां सभी पक्षों के सुझाव सुने गए। इस दौरान, ग्रामीणों ने कंपनी के समक्ष 6 मुख्य मांगें रखी। उन्होंने कहा कि अगर कंपनी इन मांगों को पूरा करती है, तो उन्हें माइनिंग के खिलाफ कोई एतराज नहीं होगा।

कंपनी ने उठाया कदम, दूसरी बैठक का प्रस्ताव

माइनिंग कंपनी के प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की मांगों को सुनने के बाद उन पर सहमति जताई और जल्द ही दूसरी बैठक बुलाने का प्रस्ताव रखा। इसमें आगामी निर्णयों पर चर्चा की जाएगी।

विधायक उमेद सिंह पातुवास की मौजूदगी में एक पंचायत आयोजित की गई। यह पंचायत ढाई घंटे तक चली, जिसमें कई स्थानीय नेताओं, माइनिंग विभाग के अधिकारियों, ग्रामीणों और खाप पंचायतों के पदाधिकारियों ने भाग लिया। पंचायत में सभी ने अपनी-अपनी समस्याओं और सुझावों को रखा, खासतौर पर भविष्य में किसी हादसे की रोकथाम पर चर्चा की गई।

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ग्रामीणों की 6 प्रमुख मांगें

पंचायत के दौरान ग्रामीणों ने माइनिंग कंपनी के समक्ष 6 मुख्य मांगें रखी:

  1. ग्राम पंचायत और किसानों को बकाया रॉयल्टी राशि दी जाए।
  2. माइनिंग लीज की पैमाइश की जाए।
  3. उखाड़े गए पिचौपा कलां-शीशवाला सड़क मार्ग का निर्माण किया जाए।
  4. अवैध माइनिंग के जरिए भूमिगत जल का दोहन न किया जाए।
  5. भूमिगत जल के दोहन को लेकर गंभीरता दिखाई जाए, ताकि भविष्य में पेयजल संकट से बचा जा सके।
  6. माइनिंग के कार्य को निर्धारित एरिया के भीतर ही रखा जाए।

ग्रामीणों ने इन मांगों को पूरा करने के बाद ही माइनिंग कार्य जारी रखने की बात कही।

सड़क निर्माण पर सहमति बनी

सड़क निर्माण के मुद्दे पर पंचायत में काफी देर तक चर्चा हुई, लेकिन अंत में यह निर्णय लिया गया कि यदि पंचायत अपने लेटर पैड पर लिखकर देगी तो वन विभाग की जमीन पर अनुमति लेकर शीघ्र सड़क का निर्माण कराया जाएगा।

एजेंसी से पैमाइश करवाई जाएगी

ग्रामीणों ने माइनिंग विभाग से भरोसा उठाते हुए सरकारी एजेंसी से माइनिंग लीज की पैमाइश करवाने की मांग की, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि माइनिंग निर्धारित क्षेत्र में हो रही है या नहीं।

माइनिंग अधिकारी को निर्देश

पंचायत में मौजूद माइनिंग अधिकारी रिंकू सिंह को निर्देश दिए गए कि पहाड़ी खिसकने के कारण जो मिट्टी और पत्थर गिरे हैं, उन्हें हटाकर देखा जाए कि कोई व्यक्ति दबा तो नहीं है। इसके अलावा, ग्राम पंचायत की बकाया राशि की जानकारी सरपंच को जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाए।

विधायक उमेद सिंह पातुवास का बयान

विधायक उमेद सिंह पातुवास ने पंचायत के दौरान कहा कि वे हमेशा ग्रामीणों के साथ हैं और उनकी किसी भी समस्या को नजरअंदाज नहीं होने देंगे। उन्होंने माइनिंग कंपनी के साथ भी उचित व्यवहार की बात की, लेकिन साथ ही यह स्वीकार किया कि प्रथम दृष्टि में माइनिंग क्षेत्र में अधिक गहराई तक खनन किया गया है। असली सच्चाई पैमाइश के बाद ही सामने आएगी। उन्होंने खनन मंत्री द्वारा माइनिंग क्षेत्र के दौरे का भी जिक्र किया और कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाएगी।

पिचौपा कलां गांव में माइनिंग क्षेत्र के निरीक्षण के दौरान सरपंच प्रतिनिधि अशोक कुमार ने कहा कि पंचायत में रखी गई 6 प्रमुख मांगों पर लगभग सहमति बन चुकी है, और माइनिंग कंपनी ने इन मांगों को पूरा करने की हामी भरी है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जब तक ग्रामीणों की मांगें पूरी नहीं की जातीं, तब तक माइनिंग कार्य नहीं होने दिया जाएगा।

क्या था मामला?

यह घटना बुधवार शाम की है, जब पिचौपा कलां के माइनिंग क्षेत्र में एक पहाड़ी खिसक गई, जिससे मलबे के नीचे एक गाड़ी दब गई थी। घटना का वीडियो भी सामने आया था। दो हफ्ते में दूसरी बार ऐसी घटना सामने आने के बाद ग्रामीणों में काफी रोष पैदा हो गया था।

इसके बाद वीरवार सुबह सरपंच प्रतिनिधि, पंच, नंबरदार और अन्य ग्रामीणों ने माइनिंग कंपनी, सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और अवैध माइनिंग के आरोप लगाए। ग्रामीणों ने मलबे की जांच के लिए पहाड़ी की तलहटी में जाने की कोशिश की, लेकिन कंपनी के कर्मचारियों ने उनका रास्ता रोक दिया। इसके बाद, पुलिस की मौजूदगी में कंपनी कर्मचारियों और ग्रामीणों के बीच हाथापाई हो गई।

ग्रामीणों का आक्रोश और माइनिंग बंद करने की मांग

इस घटना के बाद से ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने माइनिंग को बंद करने की मांग की। उनका आरोप था कि माइनिंग अवैध तरीके से हो रही है, जिससे यह हादसा हुआ है। वे माइनिंग कंपनी से अपनी 6 प्रमुख मांगों को पूरा करने की जिद पर अड़े हुए हैं, जिसके बाद ही माइनिंग कार्य फिर से शुरू होने की अनुमति दी जाएगी।

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