हरियाणा के जिला सोनीपत के नागरिक अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिला के गर्भ में ही नवजात की मौत हो गई। डिलीवरी के बाद मरा हुआ बच्चा पैदा होने पर परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। महिला के परिजनों ने चिकित्सक व स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया। उसके बाद चिकित्सक ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन परिजन नहीं मानें।
जिसके बाद परिजन हंगामा करते हुए प्रधान चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पहुंचे। वहां पहले उप चिकित्सा अधीक्षक से मिलकर लापरवाही बरतने वाले स्टाफ के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की मांग की। प्रधान चिकित्सा अधिकारी ने परिजनों को शांत कराया और पूरे मामले की जांच कराए जाने व दोषी पर कार्रवाई का आश्वासन दिया। गांव खेड़ी मनाजात निवासी सुरेश ने बताया कि 21 सितंबर को उन्होंने अपनी पत्नी सुनीता को डिलीवरी कराने के लिए नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया था। डिलीवरी के लिए कुछ समय बताकर सुनीता को वापस घर भेज दिया।
बाजार की महंगी दवाएं लिखते रहे चिकित्सक
बृहस्पतिवार को सुनीता को फिर प्रसव पीड़ा तेज हुई तो अस्पताल में पहले चिकित्सक ने उन्हें देखने से मना कर दिया। साथ ही चिकित्सक को कहा गया कि अगर अस्पताल में डिलीवरी नहीं करानी है, तो वह यहां से उनको रेफर कर दे। इसके बाद वह निजी अस्पताल में जाकर उनकी डिलीवरी करा लेंगे। चिकित्सक सामान्य डिलीवरी कराने के लिए बाजार की महंगी दवाएं लिखते रहे, लेकिन उन्होंने शाम को कहने के बावजूद चिकित्सक ने उनकी डिलीवरी नहीं कराई।
56 नंबर को छोड़ 70 नंबर मरीज को बुलाया डाक्टर ने
साथ आई महिला पूनम ने बताया कि उन्हें लाइन में लगने के लिए चिकित्सक ने लगा दिया। अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहा, अल्ट्रासाउंड करवाने के बाद चिकित्सक ने तीन-तीन घंटे तक लाइन में लगाए रखा, लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ली। उनका नंबर-56 नंबर था, लेकिन चिकित्सक ने 70 नंबर के मरीज को बुला लिया। रात को ज्यादा दर्द होने पर बाहर से दवाइयां मंगवाई। बच्चे की मौत हो चुकी है। जबकि महिला की हालत गंभीर बनी हुई है।
बाहर से दवा मंगाने के लिए सख्त मनाही
नागरिक अस्पताल से प्रधान चिकित्सा अधकारी डाः लोकवीर सिंह ने कहा कि नवजात की मौत का मामला संज्ञान में आया है। गायनी विशेषज्ञ समेत चार चिकित्सकों का बोर्ड गठित करके जांच कराई जाएगी। जिसकी प्राथमिक रिपोर्ट मंगलवार तक मिल जाएगी। बाहर से दवा मंगाने के लिए सख्त मनाही है, अगर किसी चिकित्सक या नर्सिंग अधिकारी ने बाहर की दवा लिखी है, तो कार्रवाई जरूर की जाएगी। साथ ही मैटर्न व उप चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिए जाएंगे कि अस्पताल में 100 फीसदी डिलीवरी हो। स्टाफ होने के बावजूद अगर कहीं कमी आ रही है, उसको दुरुस्त कराया जाएगा।