fatehabad

ताली बजाओ कछुए बुलाओ, क्या आपने कभी ऐसा देखा सुना है ?

हरियाणा फतेहाबाद

हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गुरु गोरखनाथ सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र गांव काजलहेड़ी दुर्लभ प्रजाति के कछुओं इंडियन सॉफ्टशेल टर्टलस की शरणस्थली बना हुआ है। आश्चर्यजनक बात यह है कि ये कछुए ताली की आवाज पर तालाब से निकल आते हैं। शायद ही ऐसा दुर्लभ दृश्य कभी देखने सुनने में आया हो। बता दें कि यह तालाब पहले कुछ कछुए के पालने के लिए उपयोग में आता था और धीरे- धीरे इन कछुओं की संख्या बढ़ती गई।

काजलहेड़ी गांव के निवासी विक्रम सिंह ने कछुओं के इस तालाब का इतिहास बताते हुए कहा कि यह तालाब लगभग 400 साल पुराना है और इसमें 150 से अधिक की संख्या में कछुए है। कछुओं को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते रहते हैं।

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देश विदेश तक पहुंची ख्याति

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उनका कहना है कि सोशल मीडिया और समाचार पत्रों के माध्यम से इस तालाब के कछुओं की ख्याति जब देश विदेश तक पहुंची तो यहां पर कछुओं को देखने काफी संख्या में लोग पहुंचने लगे।ग्रामीण का कहना है कि गुरुग्राम और फतेहाबाद जीव रक्षा विभाग की टीम 2 साल पहले यहां पहुंची थी । दो तीन दिन टीम का अभियान भी चला था।

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बिश्नोई समुदाय प्राकृतिक संरक्षण के प्रति अत्यंत संवेदनशील

कछुओं की खाने की व्यवस्था के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि तालाब के पास ही स्थित शिव मंदिर है यहां आने वाले लोग तालाब में ब्रेड, बिस्किट, आटा, रोटी डाल देते है। अब ये कछुए इसी भोजन पर निर्भर है। काजलहेड़ी गांव बिश्नोई समुदाय का हिस्सा है, जिसके कारण यहां जीव रक्षकों की कमी नहीं होती है. बता दें कि बिश्नोई समुदाय प्राकृतिक संरक्षण के प्रति अत्यंत संवेदनशील है और वे कछुओं की रक्षा करने के साथ- साथ उनके खाने- पीने की व्यवस्थाएं भी पर्याप्त रखते हैं।

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न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड का योगदान

न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने तालाब के चारों ओर जाली लगवा दी है, जिससे उनकी सुरक्षा मजबूत हुई है।  पहले छोटे कछुओं को लोग और बंदर उठा ले जाते थे लेकिन एनपीसीआईएल ने कछुओं की सुरक्षा के साथ-साथ यहां इंटरलॉकिंग रोड बनवा दी है इसके अलावा, इस रिसर्च के लिए एक भवन भी बनाया गया है जो गांव के पर्यटन के लिए उपयोगी है।

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