पंचकूला में एक टेनिस खिलाड़ी रुचिका को आत्महत्या की कोशिश में उकसाने के आरोप में पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर के खिलाफ एक मामला था, लेकिन सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कोई सबूत नहीं मिलने की वजह से एक क्लोजर रिपोर्ट देने का प्रस्ताव किया था। परंतु मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी।
अब अदालत ने मामले में सभी पक्षों को अपनी दलील रखने के लिए नोटिस जारी किया है। सीबीआई द्वारा कहा गया है कि राठौर के खिलाफ जांच के बाद भी रुचिका से छेड़छाड़ या उसे आत्महत्या के लिए उकसाने के कोई सबूत नहीं मिले हैं, इसलिए मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति देनी चाहिए। मामला यह है कि 1990 में पंजाब के पूर्व डीजीपी शंभू प्रताप सिंह राठौर पर 14 साल की रुचिका से छेड़छाड़ का आरोप लगा था।
उसके परिवार ने बताया था कि राठौर ने रुचिका को परेशान किया था और इसके बाद उसने आत्महत्या कर ली थी। 2009 में निचली अदालत ने राठौर को धारा 354 आईपीसी (छेड़छाड़) में दोषी करार देते हुए 6 महीने की कैद और 1000 रुपए का जुर्माना सुनाया था।

इस फैसले को हाईकोर्ट ने बढ़ाकर 18 महीने कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने राठौर को सशर्त जमानत दे दी थी। सीबीआई द्वारा 2010 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई थी, लेकिन उसके बाद भी पिता और भाई को अदालत में बुलाया गया था और उन्होंने कोई आपत्ति नहीं दी। निचली अदालत ने दोनों ही मामलों में क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था।

