हरियाणा के करनाल शहर में एक व्यक्ति के साथ 12 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी होने का मामला सामने आया है। जहां पर सेकेंड हैंड लग्जरी गाड़ियों का बिजनेस करने वाली कंपनी ने एक व्यक्ति को अपनी जालसाजी का शिकार और उससे 12.12 करोड़ की ठग लिये। पीड़ित ने इसकी शिकायत पुलिस को दी है। पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज जांच शुरु कर दी है।
पुलिस को शिकायत में पीड़ित शशांक गर्ग ने बताया है कि कंपनी के डायरेक्टरों ने 21.83 करोड़ के फर्जी शेयर बेचे और उसे कंपनी में शेयर होल्डर बना लिया लेकिन जब उसने शेयर होल्डर्स की लिस्ट देखी तो उसे अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता चला। कंपनी मालिक को अपने पैसे वापस करने के लिए कहा जिसपर कंपनी ने तीस महीने का वक्त मांगा। इस दौरान आरोपी पीड़ित को डायरेक्टर के तौर पर मिलने वाला अमाउंट दिया जिसमें करीब तीन करोड़ से ज्यादा का अमांउट आज भी बकाया है। आरोपियों ने उसे निजी तौर पर जो पैसा देने क आश्वासन दिया था। उसमें से पीड़ित को एक भी पैसा नहीं दिया। आरोपियों ने पैसे मांगने पर जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।
ये था पूरा मामला
शशांक ने बताया कि वह वित्त वर्ष 2018-19 में अल्फा सिटी करनाल निवासी आरोपी के संपर्क में आया था। आरोपी करनाल की एक प्रसिद्ध गाड़ियों की निजी कंपनी का डायरेक्टर है, जो पूरे भारत में सेकेंड हैंड लग्जरी गाड़ियों का व्यापार करता है। शशांक का आरोप है कि आरोपी ने उसे अपनी बातों में फंसाया और विश्वास दिलाया कि अगर वह उसकी कंपनी के शेयर में पैसा इन्वेस्ट करता है तो उसे हर साल डिविडेंड मिलेगा। उसने प्रत्येक शेयर की मार्केट मूल्य 891.50 रुपये बताई थी। जिसके उसने सर्टिफिकेट भी दिखाए थे। इसके बाद वह उसकी बातों में आ गया और शेयर में पैसा इन्वेस्ट कर दिया।

शशांक ने बताया कि 11 जून 2020 को 891.50 रुपये के हिसाब से 2 लाख शेयर मेरे नाम कर दिए गए। जिसके लिए उसे 17.83 करोड़ देने थे। जिसमें से आधी राशि यानी 8 करोड़ 91 लाख 50 हजार उसे आरोपी कंपनी को देना था और आधी राशि कंपनी को न देकर गुरुग्राम के सरस्वती कुंज सेक्टर-53 में आरोपी का शोरूम व अल्फा सिटी में एक मकान तैयार करवाना था। जो करवा भी दिया गया था और आधी राशि आरोपी कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए थे। 16 नवंबर 2020 को आरोपी कंपनी के रेजोल्यूशन के मुताबिक मैं 2 लाख शेयर का मालिक था और 62 हजार 557 शेयर 876 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से मुझे अलॉट होने थे। इसके बाद 16 नवंबर 2020 और 17 नवंबर 2020 को मैने 876 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 45 हजार 662 शेयर आरोपी की कंपनी को दे दिए थे, जो करीब चार करोड़ के थे।
आरोपियों ने दिए फर्जी दस्तावेज
शशांक का आरोप है कि आरोपी कंपनी के डायरेक्टर आरोपी अन्य दो लोगों के द्वारा उसे 17 नवंबर 2020 का एक शेयर सर्टिफिकेट दिया गया था जो 45 हजार 662 शेयर का था। जुलाई 2021 में मुझे पता चला कि आरोपियों की कंपनी ने मुझे 21.83 करोड़ वैल्यू के रुपए जो 2 लाख 45 हजार 662 शेयर दिए हैं, वे जाली थे। जिसके बाद मैंने आरोपी से आरोपी कंपनी के शेयर होल्डरों की सूची मांगी। कंपनी के अनुसार वह 21.83 करोड़ रुपए के शेयर के दस्तावेज जाली थे।
शशांक ने बताया कि उसने कंपनी के मालिक को 19 जुलाई 2021 को ईमेल किया और जवाब मांगा। जिस पर उसने जवाब दिया कि अगर वह कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करवाता है तो 30 माह में 8 करोड़ 91 लाख 50 हजार पर्सनल तौर पर और 12 करोड़ 91 लाख 50 हजार रुपए डायरेक्टर के तौर पर देने के लिए बाध्य रहेगा। 30 माह का समय बीत गया, लेकिन उसे निजी तौर पर दी जाने वाली राशि से एक रुपया भी नहीं मिला, जबकि डायरेक्टर के तौर पर दिए जाने वाले अमाउंट में से भी 3 करोड़ 20 लाख 17 हजार 426 रुपए बकाया है।
आरोपियों ने ऐसे की धोखाधड़ी
शशांक ने बताया कि आरोपी ने अपनी आरोपी कंपनी की 28 नवंबर 2021 को कंपनी रजिस्ट्रार कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय में शेयरधारकों की सूची जमा करवाई है। लेकिन इस लिस्ट में उसे कहीं पर भी शेयरधारक नहीं दिखाया गया था। इसके अलावा आरोपी और अन्य दोनों आरोपी द्वारा 31 मार्च 2021 को आरोपी कंपनी के चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा 27 नवंबर 2021 को ऑडिट की गई बैलेंस शीट को कंपनी रजिस्ट्रार कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय में जमा करवाया गया और उसमें भी मुझे शेयरधारक नहीं दिखाया गया।
शशांक का आरोप है कि इस दौरान आरोपी व उसके साथी ने अपनी कंपनी की 31 मार्च 2021 की बैलेंस शीट में गैर-कानूनी तरीके से केवल 3.25 करोड़ रुपये के शेयर के नाम पर मुझ से प्राप्त दिखाए गए हैं और उस पर भी ऑडिटर द्वारा अपनी 27 नवंबर 2021 की रिपोर्ट में मुझे शेयर इशू ना करने पर ऑब्जेक्शन लिया गया है। इसके अलावा दोनों आरोपियों ने कंपनी की बैलेंस शीट में 5 करोड़ 37 लाख 53 हजार 392 रुपये एवं 75 लाख रुपये मुझे सिक्योरिटी डिपोजिट अगेन्स्ट कार्स गैर-कानूनी तरीके से एक फर्जी एग्रीमेंट के सहारे दिखाए गए हैं। जो एग्रीमेंट मुझे गुमराह करके 26 फरवरी 2021 के स्टैंप पेपर पर 18 अक्टूबर 2019 में बना हुआ दिखाया गया। जिसे आरोपी सुमित अपनी 20 जुलाई 2021 की अंडरटेकिंग में नल एंड वोइड मान चुका है। जबकि वास्तविकता तो यह है कि 31 मार्च 2021 की बैलेंस शीट में दिखाए गए 53 हजार 392 रुपये एवं 75 लाख रुपये मुझ से प्राप्त शेयर का ही पैसा है।
पहली कंपनी बंद कर खोल ली दूसरी कंपनी
शशांक ने बताया कि आरोपियों ने पहली गाडियों की मशहूर कपंनी में बिजनेस बंद करके इसी नाम से मिलती जुलती दूसरी कंपनी खोल ली और 2 फरवरी 2022 को सेम बिसनेस एक्टिवीटी के लिए इनकोरपोरेट की गई। इस कंपनी में आरोपी की पत्नी डायरेक्टर है। इस कंपनी के लिए जिन जगहों को बिजनेस प्लेस व होम एड्रेस के रूप में दिखाया गया, उन जगहों का निर्माण भी मेरे द्वारा किया गया है। शशांक का आरोप है कि आरोपी की पत्नी भी इस धोखाधड़ी में शामिल है। क्योंकि आरोपी ने सर्टिफिकेट नंबर 11 के मुताबिक 11 जून 2020 के 50 हजार शेयर को 891.50 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से मुझे जाली तौर पर ट्रांसफर किया है, उन 50 हजार शेयर को आरोपी की पत्नी को इसी तारीख में इशू किया गया था।
इन दोनों ने मिलकर मेरे साथ धोखाधड़ी की है और मेरे साथ 12 करोड़ 11 लाख 67 हजार 426 रुपए का गबन किया। शशांक ने बताया कि उसने 3 फरवरी 2024 को 3.56 पर आरोपी को कॉल किया लेकिन उसने कॉल काट दिया और सात मिनट बाद वॉट्सअप पर कॉल किया। जिसमें उसने मुझे जान से मारने की धमकी दी। जिसके बाद उसने सेक्टर-32-33 करनाल को शिकायत दी। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया और जांच शुरू कर दी।