हरियाणा के जिला सोनीपत के मुरथल स्थित दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी) की ओर से बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में दो दिवसीय कार्यक्रम के तहत वीरवार को अंतिम दिन यमुना के मिमारपुर घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया गया। इस दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों के साथ मुख्यातिथि के रूप में मुख्यमंत्री के ओएसडी वीरेंद्र बढ़खालसा और राष्ट्रीय मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ. योगेंद्र मलिक ने भी कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह के साथ स्वच्छता अभियान में शिरकत की। उन्होंने प्राध्यापकों और स्वयंसेवकों के साथ कूड़ा उठाकर यमुना क्षेत्र को साफ सुथरा रखने का संदेश दिया।
गौरतलब है कि दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी) मुरथल ने समाज को स्वच्छता, प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए यमुना नदी के घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया। अभियान का नेतृत्व मुख्यमंत्री के ओएसडी वीरेंद्र बढ़खालसा, नेशनल मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ. योगेंद्र मलिक और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह ने किया। अभियान में एनसीसी कैडेट, एनएसएस वालंटियर, विवि के प्राध्यापक, अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि नेशनल मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ. योगेंद्र मलिक ने कहा कि हरियाणा की पावन धरा ज्ञान की भूमि है। वेदों की ऋचाएं हरियाणा की पावन भूमि गूंजी। हरियाणा की पावन भूमि से ही भगवान श्रीकृष्ण ने विश्व को श्रीमद्भगवद गीता का ज्ञान दिया।
हरियाणा की भूमि को मां सरस्वती के कारण मिली सारस्वत प्रदेश की संज्ञा : डॉ. मलिक
डॉ. योगेंद्र मलिक ने कहा कि हरियाणा की भूमि को मां सरस्वती के कारण सारस्वत प्रदेश की संज्ञा मिली। महर्षि दधीचि एवं कर्ण के दान के कारण हरियाणा की भूमि को दानवीर की भूमि कहा गया। भगवद्गीता के कारण हरियाणा की पावन भूमि को धर्मक्षेत्र के नाम से भी पुकारा गया। डॉ. मलिक ने कहा कि हमारी प्राचीन संस्कृति महान है, जिसमें विश्व के कल्याण की भावना है। संस्कृति हमें पर्यावरण व जल का संरक्षण करना सिखाती है। उन्होंने कहा कि अगर हमें अपने आसपास सदैव सफाई रखनी चाहिए। इसके साथ-साथ दूसरों को भी स्वच्छता के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अपने आसपास स्वच्छता रखेंगे तो बीमारियों से दूर रहेंगे।
जल और पर्यावरण का संरक्षण करना हमारा दायित्व : वीरेंद्र बढ़खालसा
इस दौरान अति विशिष्ट अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री के ओएसडी वीरेंद्र बढ़खालसा ने कहा कि जल प्रकृति की उत्तम कृति है। जल ईश्वर द्वारा प्रदत्त मानव को अमूल्य उपहार है। इसको हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को सौंपना है। जल और पर्यावरण का संरक्षण करना हमारा दायित्व है। उन्होंने कहा कि हम पर्यावरण व प्रकृति का संरक्षण मुनि बनकर ही कर सकते हैं। मुनि कोई भी कार्य प्रारंभ करने से पूर्व उसके पूर्ण होने के बाद के बारे में भी विश्लेषण करता है।
ओएसडी बढ़खालसा ने कहा कि प्राचीन काल में जब हम किसी वृक्ष को काटते थे तो उससे पूर्व उसकी पूजा करते थे और क्षमा भी मांगते थे। उस वृक्ष को काटने के बदले में ज्यादा वृक्ष लगाते थे। उन्होंने कविता के माध्यम से जल व प्रकृति का संरक्षण करने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने आह्वान किया कि हम सबको मिलकर निरंतर स्वच्छता अभियान चलाने की आवश्यकता है। स्वच्छता के लिए हमें दूसरों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
स्वच्छता ही समृद्ध और स्वस्थ जीवन का आधार : प्रो. श्रीप्रकाश सिंह
इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के जल स्रोतों को स्वच्छ बनाने के उद्देश्य पुनीत सागर अभियान शुरू किया है। जिसके तहत देश के समुद्र तटीय क्षेत्रों और नदियों के किनारों पर सफाई करने के लिए प्रेरित किया गया है। उन्होंने कहा कि हम सब ने यह ठाना है कि नदियों को स्वच्छ बनाना है। स्वच्छता ही समृद्ध और स्वस्थ जीवन का आधार हैं। स्वच्छता एक अच्छी आदत है, जिसे हमें अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन के लिए अपनाना चाहिए।