हरियाणा के यमुनानगर में भी किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। किसानों ने यमुनानगर सचिवालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। सरकार विरोधी नारे लगाए। उसके बाद मुख्यमंत्री का पुतला जलाया गया। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोका, उन पर लाठीचार्ज किया, आंसू गैस के गोले छोड़े। उन्होंने कहा कि इसके विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर यह प्रदर्शन किया गया है और पुतला जलाया गया है।
किसान नेता सुभाष गुर्जर और साहब सिंह का कहना है कि किसान अपनी मांगों को लेकर और सरकार के रवैया के खिलाफ 16 फरवरी को 4 घंटे तक यमुनानगर में जाम लगाएंगे। किसान नेताओं का कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा उन्होंने कहा कि एमएसपी सहित अन्य मांगों को लेकर किसान अपना संघर्ष जारी रखेंगे।
क्या हैं किसानों की मांगें?
आंदोलन में शामिल हो रहे किसान और संगठनों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द एमएसपी पर कानून बनाए और इसे लागू करे। मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम और 700 रुपये दिहाड़ी दी जाए। इसके अलावा किसानों ने डॉ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, किसान कर्ज माफी, बिजली कानून 2020 को रद्द करने, पिछले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय देने की मांग की है।
दूसरे किसान आंदोलन की असली वजह
पिछले किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने के साथ-साथ किसानों से कई वादे किए थे। सरकार ने उस समय फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी देने पर गौर करने के लिए कमेटी बनाने का वादा किया था। हालांकि, सरकार ने इस घोषणा के करीब आठ महीने बाद एमएसपी पर कानून बनाने पर गौर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया। पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में इस 26 सदस्यीय समिति में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों, कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अर्थशास्त्रियों के अलावा केंद्र एवं राज्य सरकारों के अधिकारियों को शामिल किया गया था।