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Haryana के किसान आंदोलन से दूरी: 4 प्रमुख वजहें और BJP की माइक्रो लेवल रणनीति

हरियाणा अंबाला जींद

Punjab के किसान 298 दिन से Haryana के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, हरियाणा के किसानों का इस बार आंदोलन में उतना समर्थन नहीं दिख रहा, जितना 2020-21 में कृषि कानूनों के विरोध में दिखा था। हरियाणा सरकार की रणनीति और परिस्थितियों के कारण आंदोलन के प्रति यह दूरी स्पष्ट होती है।

1. बॉर्डर इलाकों में प्रशासन की सक्रियता

हरियाणा सरकार को पहले ही इस आंदोलन के असर का अंदेशा हो गया था। SP और DSP फील्ड में: बॉर्डर जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सक्रिय किया गया, जिन्होंने किसानों और ग्रामीणों से मीटिंग कर आंदोलन से होने वाले नुकसान समझाए। गांवों से राशन और अन्य आवश्यक सामान आंदोलन स्थल तक नहीं पहुंचने दिया गया।

2. पुलिस की सख्ती और गश्त बढ़ाना

गांवों में गश्त: पुलिस ने बॉर्डर इलाकों में गश्त तेज कर दी। दिल्ली कूच के दौरान बॉर्डर इलाकों को पूरी तरह सील कर दिया गया। खनौरी बॉर्डर पर 16 किमी के क्षेत्र में दुकानें बंद कर दी गईं, जिससे आंदोलनकारियों का संपर्क कमजोर पड़ा।

3. हरियाणा के नेताओं को आंदोलन में शामिल न करना

पंजाब के किसान नेता जगजीत डल्लेवाल और सरवण पंधेर ने आंदोलन में हरियाणा के नेताओं को नहीं जोड़ा। भाकियू (चढ़ूनी ग्रुप) के गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा, “हम बिना बुलाए आंदोलन में शामिल नहीं होंगे।” हरियाणा के नेता आंदोलन से दूरी बनाए हुए हैं, हालांकि कुछ नेता, जैसे अभिमन्यु कोहाड़, खनौरी बॉर्डर पर मौजूद हैं।

4. 24 फसलों पर MSP का दावा

हरियाणा सरकार का जोर इस बात पर है कि वह 24 फसलों पर MSP दे रही है, जो किसी और राज्य में नहीं है। सरकार इसे प्रमुख मुद्दा बनाकर किसानों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। BJP का प्रचार यह भी है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अपने राज्यों में MSP लागू क्यों नहीं करतीं।

हरियाणा सरकार के प्रशासनिक कदम, स्थानीय नेताओं का न जुड़ना, और MSP की उपलब्धता जैसी वजहें किसानों की आंदोलन में कम भागीदारी की वजह बनी हैं। इससे साफ है कि सरकार की रणनीति ने हरियाणा में आंदोलन को कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभाई।

शंभू बॉर्डर बंद होने से अंबाला के व्यापारियों को भारी नुकसान

अंबाला में व्यापारी और रेहड़ी-फड़ी वाले भी प्रदर्शन कर चुके हैं। शंभू बॉर्डर बंद होने से अंबाला के व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। जुलाई में व्यापारियों ने अपनी दुकानों को 4 घंटे तक बंद रखा था। सबसे ज्यादा नुकसान 1500 दुकानों वाले मशहूर कपड़ा मार्केट को हुआ। व्यापारी कहते हैं कि बॉर्डर बंद होने से उन्हें 2 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। मुख्यतः ग्राहक पंजाब से ही आते थे। जन जागृति संगठन के अध्यक्ष विप्लव सिंगला ने कहा कि हमने शंभू बॉर्डर को खोलने की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। 10 महीने से बॉर्डर बंद होने के कारण हमारे ग्राहक टूट गए हैं और अब वे दूसरे बाजारों में जा रहे हैं।

होलसेल क्लॉथ मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बत्रा का कहना है कि बॉर्डर बंद होने से होलसेल और रिटेल व्यापारियों को नुकसान हुआ है। शादियों का सीजन है और व्यापारियों की स्थिति खराब है। कपड़ा व्यापारी कहते हैं कि उनका 75% कारोबार गिर गया है। लगभग 25,000 लोगों की नौकरी पर संकट आ गया है।

अंबाला में जब जुलाई में प्रदर्शन हुआ, तो अंबाला की होलसेल कपड़ा मार्केट एसोसिएशन, कपड़ा मार्केट एसोसिएशन, अंबाला इलेक्ट्रिकल्स डीलर्स एसोसिएशन, सर्राफा एसोसिएशन, व्यापार मंडल हरियाणा, न्यू क्लॉथ मार्केट पूजा कांप्लेक्स, मनियारी मार्केट, अंबाला इलेक्ट्रिक एसोसिएशन, न्यू अनाज मंडी, पुरानी अनाज मंडी एसोसिएशन, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और ट्रेड मुलाजिम यूनियन भी प्रदर्शन में शामिल हुए थे, सभी शंभू बॉर्डर को खोलने की मांग कर रहे थे।

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