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ED की बड़ी कार्रवाई: हरियाणा समेत कई राज्यों में करोड़ों की संपत्ति जब्त

हरियाणा Breaking News

➤ईडी की 10 ठिकानों पर छापेमारी, 73.72 करोड़ की संपत्ति जब्त
➤व्यूनाउ ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग और निवेशकों से ठगी के आरोप
➤लग्जरी गाड़ियों, शेल कंपनियों और नकदी का नेटवर्क बेनकाब

14 अगस्त 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जालंधर में मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र के 10 घरों और कारोबारिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई व्यू नाउ ग्रुप ऑफ कंपनियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA) के तहत की गई। इसमें व्यू नाउ इंफ्राटेक लिमिटेड, इसके डायरेक्टर राहुल आनंद भार्गव और अन्य जुड़े लोग शामिल हैं।

ईडी की तलाशी में 23.90 लाख रुपये नकद, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और कई आपत्तिजनक दस्तावेज मिले। इसके अलावा 63.49 करोड़ रुपये के शेयर और 9.99 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति फ्रीज की गई। इस तरह कुल 73.72 करोड़ रुपये की संपत्ति पर कार्रवाई हुई।

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यह पहली बार नहीं है जब इस मामले में इतनी बड़ी छापेमारी हुई हो। जनवरी 2025 में भी ईडी ने पंजाब, हरियाणा और मुंबई में 11 स्थानों पर 72 घंटे तक लगातार रेड की थी। उस कार्रवाई में गुरुग्राम, पंचकूला, जींद, मोहाली और मुंबई से व्यू नाउ मार्केटिंग सर्विसेज, बिग बॉय टॉयज समेत 6 कंपनियों से कई लग्जरी गाड़ियां और 3 लाख रुपये नकद जब्त किए गए थे। इनमें एक 2.20 करोड़ की लैंड क्रूजर, 4 करोड़ की मर्सिडीज जी-वैगन, डिजिटल डिवाइस और अन्य दस्तावेज शामिल थे।

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ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि व्यू नाउ मार्केटिंग सर्विसेज लिमिटेड और उससे जुड़ी कंपनियों ने निवेशकों से करोड़ों रुपये ठगे। उन्हें उच्च रिटर्न का लालच देकर “क्लाउड पार्टिकल बेचने और उन्हें लीज पर देने” (SLB मॉडल) का झांसा दिया गया, जबकि इसके लिए कोई वास्तविक इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं था।

नोएडा पुलिस ने भी ईडी की शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धाराओं के तहत केस दर्ज किया। जांच में पाया गया कि जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल लग्जरी गाड़ियां खरीदने, फर्जी (शेल) कंपनियों के जरिए फंड ट्रांसफर करने और अचल संपत्तियां खरीदने में किया गया। खासतौर पर Big Boy Toyz जैसी कंपनियों में बड़ा निवेश किया गया, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग का एक संगठित नेटवर्क सामने आया।

इससे पहले भी 26 नवंबर 2024 को ईडी ने PMLA के तहत व्यू नाउ मार्केटिंग सर्विसेज लिमिटेड और अन्य संबंधित कंपनियों के कई परिसरों पर छापेमारी की थी, जिसमें अहम दस्तावेज और डिजिटल सबूत मिले थे। इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर 2025 की यह ताजा कार्रवाई की गई।