चंडीगढ़ में हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत चौटाला के साथ बिजली विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की मांगों पर सहमति नहीं बनने के बाद उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया है। बिजली कर्मचारियों ने निर्णय लिया है कि वह 1 अक्तूबर से ऑल हरियाणा पावर वर्कर्स यूनियन के बैनर तले सिरसा स्थित बिजली मंत्री के कार्यालय का घेराव कर महापड़ाव डालेंगे। साथ ही कर्मचारियों ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए रणनीति तैयार की है। अगर इसके बावजूद कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हुई तो वह बिजली मंत्री के कार्यालय के सामने ही धरने पर बैठे रहेंगे। बिजली कर्मचारियों की ओर से 21 अक्तूबर को वहीं एक बड़ी रैली का आयोजन किया जाएगा।
बिजली कर्मचारियों ने लंबित मांगों को लेकर बहादुरगढ़ में कार्यालय के सामने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सरकार और बिजली मंत्री रणजीत चौटाला से मांग की है कि उनकी मांगों को जल्द पूरा किया जाए। अन्यथा सरकार को उनके विरोध का सामना करना पड़ता। ऑल हरियाणा वर्कर्स पावर वर्कर्स यूनियन के राज्य उपाध्यक्ष बंसीलाल ने बताया कि वीरवार को प्रदेश के बिजली मंत्री रणजीत सिंह से कर्मचारियों की मांगों से संबंधित बातचीत हुई थी, जो सिरे नहीं चढ़ पाई। अब कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने बताया कि कर्मचारी 1 अक्तूबर से बिजली मंत्री के सिरसा स्थित कार्यालय के सामने महापड़ाव डालेंगे।
पहले मांगें पूरी फिर महापड़ाव होगा वापस
कर्मचारी नेता बंसीलाल ने कहा कि वह तब तक अपना महापड़ाव वापस नहीं लेंगे, जब तक सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं कर देती। इतना ही नहीं कर्मचारियों ने 21 अक्तूबर को महापड़ाव स्थल पर प्रदेश स्तरीय रैली करने का भी ऐलान किया है। जिसमें आगे की रणनीति बनाई जा सके। बंसीलाल ने बताया कि बिजली कर्मचारी पिछले डेढ़ साल से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगे मानने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में उन्हें मजबूरीवश सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ना पड़ रहा है।
इन मांगों को पूरा करने की उठाई मांग
कर्मचारी नेता बंसीलाल ने कहा कि वह कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, ठेका प्रथा बंद करने और पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं किसानों को ट्यूबल चलाने के लिए तुरंत बिजली कनेक्शन दिए जाएं। आम लोगों को 24 घंटे सस्ती बिजली मुहैया करवाने और बिजली विभाग में खाली पड़े पदों पर नई भर्ती की जाए।
साथ ही हरियाणा कौशल रोजगार निगम को भंग किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार मांगों को लेकर कमर्चारियों की कोई सुनवाई नहीं कर रही है। अगर जल्द उचित निर्णय नहीं लिया गया तो कर्मचारी मोर्चा खोलने पर विवश होंगे।