➤हरियाणा के यमुनानगर के साढ़ौरा में पुलिस और वेंकट गैंग के बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई, दो बदमाश गोली लगने से घायल।
➤बदमाश बिना नंबर प्लेट की बाइक पर थे और पुलिस की नाकाबंदी के दौरान फायरिंग करने लगे।
➤पुलिस ने दोनों को काबू में लेकर अस्पताल पहुंचाया, फोरेंसिक और जांच टीम जुटी।

हरियाणा के यमुनानगर जिले के साढ़ौरा इलाके में शुक्रवार शाम को पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ हो गई। पुलिस को सूचना मिली थी कि दो संदिग्ध युवक बिना नंबर प्लेट की पल्सर बाइक पर हथियारों के साथ घूम रहे हैं। इन पर शक था कि ये किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं और वेंकट गैंग से जुड़े हुए हैं। सूचना मिलते ही पुलिस ने इलाके में नाकाबंदी कर दी और असगरपुर गांव के पास दोनों बदमाशों को रोकने का प्रयास किया।

पुलिस को देखते ही बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने लगभग 20 राउंड फायरिंग की और दोनों बदमाशों—विकास अली उर्फ ज्वाला (निवासी सरावां) और दीपक (निवासी कनिपला)—के पैरों में गोली मारी। दोनों घायल होकर बाइक से गिर पड़े, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें काबू कर लिया और जगाधरी सिविल अस्पताल में भर्ती कराया।
पुलिस का कहना है कि दोनों बदमाश पहले से ही आपराधिक मामलों में वांछित थे और वेंकट गर्ग के इशारे पर किसी बड़ी वारदात की योजना बना रहे थे। दोनों से हथियार भी बरामद हुए हैं और अब पूरे नेटवर्क की जांच की जा रही है। DSP हरविंदर घटनास्थल पर पहुंचे और फोरेंसिक टीम ने भी मौके पर जांच शुरू की।

इस मामले के बाद एक बार फिर गैंगस्टर वेंकट गर्ग चर्चा में आ गया है। अंबाला के नारायणगढ़ निवासी वेंकट गर्ग पहली बार जनवरी 2025 में बसपा नेता हरबिलास की हत्या के बाद चर्चा में आया था, जब उसने सोशल मीडिया पर इसकी जिम्मेदारी ली थी। पहले वह लॉरेंस और काला राणा गैंग से जुड़ा था, लेकिन बाद में अलग होकर अपनी गैंग बना ली।
वेंकट पर यमुनानगर, अंबाला, चंडीगढ़, पंचकूला और जगाधरी में हत्या, रंगदारी, और फायरिंग जैसे 12 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। 2024 में उस पर तलवारों से हमला हुआ था जिसमें उसकी टांग टूट गई थी। उसने जेल में रहते हुए भी वार्डर पर जानलेवा हमला किया था। इसके अलावा वेंकट कई बार मोबाइल के साथ जेल में पकड़ा गया, और खनन व्यापार पर दबदबा बनाने के लिए भी उसने फायरिंग की।
इस मुठभेड़ से यह साफ हो गया है कि वेंकट गैंग की गतिविधियाँ अभी भी सक्रिय हैं और पुलिस को उसके पूरे नेटवर्क को खत्म करने के लिए बड़ा अभियान चलाना पड़ सकता है।