58वें निरंकारी संत समागम में भक्ति, सेवा और शिक्षा के अद्वितीय रंग: बाल प्रदर्शनी और सेवादल रैली ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

पानीपत हरियाणा

(समालखा से अशोक शर्मा की रिपोर्ट) महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के पहले दिन, सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने विशाल मानव परिवार को संबोधित करते हुए भक्ति, सेवा और आत्मिक उन्नति के महत्व को उजागर किया। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से एकत्रित हुए और सतगुरु के दिव्य दर्शन का लाभ लिया।

सतगुरु माता जी ने अपने आशीर्वचन में भक्ति को जीवन का अभिन्न हिस्सा बताते हुए कहा कि भक्ति कोई दिखावा नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षण में परमात्मा की उपस्थिति का अहसास है। साथ ही, उन्होंने समाज सेवा और मानवता के कर्तव्यों को भक्ति से जोड़ते हुए श्रद्धालुओं को जीवन में सुधार और परमात्मा की भक्ति को प्राथमिकता देने की प्रेरणा दी।

सेवादल रैली का भव्य आयोजन

समागम के दूसरे दिन, एक भव्य सेवादल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों स्वयंसेवकों ने खाकी वर्दियों में भाग लिया। रैली में मिशन के शिक्षाओं पर आधारित नाटिकाओं और शारीरिक व्यायाम के द्वारा भक्ति और सेवा के महत्व को दर्शाया गया। सतगुरु माता जी ने रैली में सम्मिलित सेवादल सदस्यों को सेवा में अनुशासन और समर्पण की अहमियत को समझाया और उन्हें निरंकार परमात्मा की सेवा को प्राथमिकता देने की प्रेरणा दी।

बाल प्रदर्शनी ने छुआ दर्शकों का दिल

समागम के दौरान आयोजित बाल प्रदर्शनी ने विशेष आकर्षण पाया। बच्चों द्वारा बनाई गई मॉडल्स के माध्यम से जीवन की असीम संभावनाओं और संयम की शक्ति को उजागर किया गया। एक मॉडल में चायनीज बाम्बू के पेड़ की कहानी के जरिए यह शिक्षा दी गई कि लगातार प्रयास और समय के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

प्रदर्शनी को देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए और विद्यार्थियों ने इसे खूब सराहा। इस संत समागम ने श्रद्धालुओं को जीवन में भक्ति और सेवा के महत्व को महसूस कराया और उन्हें निराकार परमात्मा की उपस्थिति का अनुभव करने की प्रेरणा दी।

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