Haryana के सिरसा में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। एक प्राइवेट इंस्टीट्यूट में फर्जी डिग्रियों का कारखाना चलाया जा रहा था। इस इंस्टीट्यूट का संचालक पैसे लेकर 8 यूनिवर्सिटियों की फर्जी डिग्रियां बेच रहा था। इनमें LLB से लेकर इंजीनियरिंग की डिग्रियां भी शामिल हैं।
कैसे हुआ खुलासा?
कुछ दिनों से प्रशासन को फर्जी डिग्रियों की शिकायतें मिल रही थीं। एक शिकायत के आधार पर सीएम फ्लाइंग टीम ने सिरसा के द्वारकापुरी क्षेत्र में साई इंस्टीट्यूट पर छापा मारा। छापे में कई यूनिवर्सिटियों की फर्जी डिग्रियां और सर्टिफिकेट बरामद हुए।
कौन है आरोपी?
आरोपी की पहचान सीताराम के रूप में हुई है। वह करीब 5 साल से यह धंधा चला रहा था। सीताराम पहले एक फोटोस्टेट की दुकान पर काम करता था। यहीं पर उसने फर्जी डिग्री बनाने का काम सीखा। सीताराम ने डिग्रियों के अलग-अलग रेट तय किए थे। LLB की डिग्री 65 हजार और इंजीनियरिंग की डिग्री 50 हजार से 60 हजार रुपये में बेची जाती थी। इंस्टीट्यूट में 4 लड़कियां फोन पर डील करती थीं। ग्राहक को डिग्री हफ्ते भर के अंदर दे दी जाती थी।
कहां-कहां से मिलीं डिग्रियां?
इंस्टीट्यूट से हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय के यूजी, पीजी सहित अन्य कोर्स के सर्टिफिकेट मिले हैं। यहां तक कि माइग्रेशन सर्टिफिकेट भी दिए जाते थे। इंस्टीट्यूट से सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल की मोहरें भी बरामद हुई हैं।
अब क्या होगा?
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि सीताराम ये डिग्रियां कहां से छपवाता था। उसने कौन-कौन सी डिग्रियां किस-किस व्यक्ति को और कब-कब दी। पुलिस यह भी पता लगाने में जुटी है कि इस इंस्टीट्यूट से पढ़े फर्जी वकील और इंजीनियर अब कहां सेवाएं दे रहे हैं।