फरीदाबाद : एंजियोप्लास्टी के दौरान इराकी मरीज की धमनी में तार छूटने के बाद गंभीर स्थिति में फरीदाबाद के एसएसबी अस्पताल आए व्यक्ति को डाक्टरों के प्रयास से नया जीवन मिला है। मरीज को अन्य अस्पतालों में बाइपास करने की सलाह दी थी, लेकिन एसएसबी अस्पताल के कुशल डाक्टरों की टीम ने बिना बाईपास सर्जरी के मरीज के इलाज कर उसे नई जिंदगी दी है।
दरअसल इराक के एक अस्पताल में मई 2023 में एक 63 वर्षीय व्यक्ति को छाती में दर्द होने पर अस्पताल में दाखिल करवाया गया। जब उसकी दिल की धमनियों की जांच की गई, तो पता चला कि उसकी एक धमनी 100 प्रतिशत बंद हो गई है, (जो कि 3 महीने से अधिक समय से कठोर कैल्सिफाइड अवरुद्ध धमनी है) जिसे सीटीओ कहते हैं।
इराक के डॉक्टर ने कोशिश की, कि वे धमनी को एंजियोप्लास्टी के जरिए खोल सकें, लेकिन एंजियोप्लास्टी के दौरान तार धमनी में ही टूट गई, जिसे उन डॉक्टरों ने धमनी के बिच में ही छोड़ दिया और वह उस ब्लॉक को खोल भी नहीं पाए। इसके बाद मरीज़ दर्द और बढ़ गया। जिसके कारण उसे बाईपास सर्जरी की सलाह दी गई। वह बहुत सारे देशों के डॉक्टरों के पास गया, लेकिन सबने बताया कि उसका इलाज एंजियोप्लास्टी से नहीं हो पाएगा और उसके लिए बायपास सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है।
छाती की धमनी को एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग के जरिए खोल दिया
जब मरीज को एसएसबी अस्पताल लाया गया तो अस्पताल के प्रबंध निदेशक एवं वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. एस.एस. बंसल से राय ली गई। जिन्होंने मामले को समझने के बाद मरीज की छाती की धमनी को एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग के जरिए खोल दिया और टूटे हुए तार को भी सील कर दिया। डॉक्टर बंसल की सूझबूझ के चलते मरीज को बिना खुले हृदय सर्जरी के दर्द से मुक्ति मिल गई। डा. एस.एस. बंसल ने बताया कि एसएसबी अस्पताल का उद्देश्य लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाना है और जटिल स्वास्थ्य समस्याओं को आधुनिकता से समाधान करना है और इसी प्रयास को लेकर वह और उनके डाक्टरों की टीम प्रयासरत है।