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फरीदाबाद एसीजेएम पर हाइकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला; विजिलेंस जांच के बाद हाईकोर्ट ने किया सस्पेंड

चंडीगढ़ हरियाणा हरियाणा की बड़ी खबर

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने फरीदाबाद के एसीजेएम हरीश गोयल पर बड़ा फैसला सुनाया है।हाइकोर्ट ने हरीश गोयल को उनके पद से बर्खास्त कर दिया है। हरीश गोयल फरीदाबाद में ‘अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-सह-न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन)’ के पद पर कार्यरत थे।बता दें कि, न्यायिक अधिकारी पर किसानों ने आरोप लगाया था कि,एसीजेएम ने उन पर झूठे मुदमे दर्ज कराए हैं। इस मामले में कई लोगों ने अधिकारी के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी।

उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले की सतर्कता जांच से संकेत मिला कि यह मामला वर्षों से सम्मन-पूर्व चरण में लंबित लगभग 50 अन्य मामलों के बिल्कुल विपरीत था। अन्य बातों के अलावा, पूछताछ के दौरान न्यायिक अधिकारी की कॉल डिटेल को भी खंगाला गया और उसे सुनवाई के दौरान ध्यान में रखा गया। जानकारी के मुताबिक,30 सितंबर को हुई बैठक के दौरान मुख्य न्यायाधीश रवि शंकर झा और अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों वाले पूर्ण न्यायालय के समक्ष कुछ निष्कर्ष रखे गए थे।जिसमें संविधान के अनुच्छेद 235 और हरियाणा सिविल सेवा (दंड और अपील) के प्रावधानों के तहत अनुशासनात्मक क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए, पूर्ण न्यायालय ने गोयल की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।निलंबन अवधि के दौरान हरीश गोयल का मुख्यालय पलवल होगा।

 किसानों पर मानहानि मामला दर्ज करने वाले पुलिसकर्मी के संपर्क में थे हरीश
हरीश गोयल पर कथित तौर पर एक पुलिस अधिकारी के साथ टेलीफोन पर संपर्क में होने का आरोप है, जिसने हरियाणा में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर उनका पुतला जलाए जाने के बाद 37 लोगों के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज की थी।बता दें कि, उस समय करनाल में न्यायिक अधिकारी के पद पर तैनात हरीश गोयल ने शिकायत दर्ज होने के एक दिन बाद। प्रारंभिक साक्ष्यों के आधार पर लगभग एक सप्ताह में 37 लोगों को बुलाया था। इस मामले में न्यायिक अधिकारी के खिलाफ कुरुक्षेत्र जिले के हसनपुर गांव के गुरमीत सिंह और चार अन्य निवासियों द्वारा शिकायत की गई थी।

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पलवल के मुख्य न्यायाधीश की अनुमति बगैर; मुख्यालय से नहीं जा सकेंगे गोयल

निलंबन अवधि के दौरान गोयल का मुख्यालय पलवल रहेगा। उन्हें इस अवधि के दौरान पलवल जिला एवं सत्र न्यायाधीश की पूर्व अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ने को कहा गया है। मुख्य न्यायाधीश झा के कार्यकाल के दौरान पूर्ण न्यायालय ने अब तक 20 से अधिक न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की है। अन्य बातों के अलावा, इसने 2020 में दो अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीशों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया था, जिससे अधीनस्थ न्यायपालिका में अनुशासनहीनता, शालीनता या अन्य कारकों के खिलाफ शून्य सहिष्णुता का एक मजबूत संदेश भेजा गया था।