Farmer leader Dallewal

Haryana-Punjab बॉर्डर पर किसान नेता डल्लेवाल का मरणव्रत, 17वां दिन, किडनी फेल होने का बढ़ा खतरा

हरियाणा देश पंजाब बड़ी ख़बर

Haryana-Punjab के खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का मरणव्रत अब 17 दिन पूरा हो चुका है, और उनकी सेहत लगातार बिगड़ रही है। डल्लेवाल की वजन में 12 किलो से अधिक की कमी हुई है, और उनकी किडनी फेल होने का खतरा बढ़ गया है। उनके डॉक्टरों ने चेताया है कि अगर वह ज्यादा दिन तक भूखे रहते हैं तो उनके लीवर में भी दिक्कतें हो सकती हैं।

डॉक्टरों को रोका गया, किसान नेताओं ने सुरक्षा बढ़ाई

बुधवार को सरकारी डॉक्टरों की टीम को रोक दिया गया जिसने डल्लेवाल का चेकअप करने की कोशिश की थी। किसानों का आरोप है कि डॉक्टरों को पहले डल्लेवाल की जांच रिपोर्ट देनी चाहिए थी, तभी उन्हें चेक करने दिया जाएगा। इस बीच, किसानों ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय लिया है, यह भय जताते हुए कि केंद्र सरकार डल्लेवाल को हिरासत में ले सकती है।

download 24

किसान नेताओं की अपील: घरों में खाना न बनाएं, समर्थन स्वरूप फोटो साझा करें

डल्लेवाल की स्थिति को गंभीर मानते हुए, किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने लोगों से अपील की है कि वह अपने घरों में खाना न बनाएं और अपने परिवार के साथ फोटो सोशल मीडिया पर #WeSupportJagjeetSinghDallewal के साथ साझा करें। 13 दिसंबर को किसानों ने 10 महीने पूरे किए तो एक बार फिर अपने मुद्दे को प्रमुखता से उठाने का संकल्प लिया।

केंद्र और राज्य सरकारों से समाधान की मांग

download 23

केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्‌टू ने कहा है कि वह किसान नेताओं से बातचीत करने के लिए तैयार हैं। वहीं, किसान नेता भी हरियाणा और पंजाब सरकारों से समाधान की दिशा में पहल करने की मांग कर रहे हैं।

किसानों का संघर्ष: 13 मांगें और ‘मरणव्रत’ की गंभीरता

फसलों की एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर पिछले 10 महीनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। 13 दिसंबर को इस आंदोलन के 10 महीने पूरे हो जाएंगे, और डल्लेवाल अपने संदेश के जरिए किसानों को एकत्र होने का आह्वान कर सकते हैं। यह संदेश आंदोलन की गंभीरता को और स्पष्ट करेगा और किसानों के संघर्ष को समर्थन देने के लिए और अधिक संख्या में जुटने का प्रयास होगा।

डल्लेवाल का संघर्ष: किसानों की आवाज

download 21

जगजीत सिंह डल्लेवाल के मरणव्रत ने देश भर में किसानों के संघर्ष को प्रमुखता से उठाया है। यह आंदोलन सरकारों से स्थायी समाधान की मांग कर रहा है, जिससे किसान अपनी मांगें मान्यता पाने में सफल हों। किसानों का संदेश स्पष्ट है: बिना किसी राजनीतिक स्वार्थ के, उनकी मांगों को सुना और पूरा किया जाए।

अन्य खबरें