➤दिल्ली CM रेखा गुप्ता, केंद्रीय मंत्री गडकरी समेत 10 वरिष्ठ नेताओं/अधिकारियों पर कोर्ट में याचिका
➤गाड़ियों की जब्ती और स्क्रैपिंग को लेकर ‘डकैती, धोखाधड़ी, षड्यंत्र’ जैसे गंभीर आरोप
➤एडिशनल सेशन कोर्ट ने याचिका पर लिया संज्ञान, रिकॉर्ड तलब कर अगली सुनवाई की तैयारी
दिल्ली सरकार द्वारा पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग और जब्ती की कार्रवाई अब कानूनी शिकंजे में आ गई है। गुरुग्राम के एडिशनल सेशन कोर्ट में एक याचिका दायर कर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत 10 वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों पर मोटर वाहन अधिनियम के नाम पर लूट, धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और संविधान के उल्लंघन जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
यह याचिका गुरुग्राम के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया द्वारा दायर की गई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार और कुछ केंद्रीय एजेंसियों ने सुप्रीम कोर्ट, NGT और अन्य संस्थाओं का नाम लेकर जनता की वैध रूप से रजिस्टर्ड गाड़ियों को जबरन जब्त कर स्क्रैपिंग एजेंसियों को सौंपा है। अधिवक्ता का कहना है कि यह न केवल कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है बल्कि सीधे तौर पर जनता की संपत्ति की अवैध रूप से जब्ती है।
अदालत ने रिकॉर्ड तलब किया
एडिशनल सेशन कोर्ट ने याचिका की गंभीरता को देखते हुए सीजेएम कोर्ट से केस का रिकॉर्ड तलब किया है। यह मामला मूल रूप से गुरुग्राम मजिस्ट्रेट कोर्ट में 5 जुलाई 2025 को “कॉमी-436/2025” के तहत दाखिल हुआ था, जिसे प्रारंभिक स्वीकृति के अभाव में खारिज कर दिया गया था। इसके बाद CRR-438/2025 के तहत एडिशनल सेशन कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई।
कौन-कौन हैं आरोपी?
याचिका में जिन लोगों को नामजद किया गया है, उनमें शामिल हैं:
- दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता
- केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी
- दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा
- पूर्व परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत
- गृह सचिव, भारत सरकार – गोविंद गोहन
- दिल्ली परिवहन आयुक्त निहारिका राय
- पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा
- स्पेशल सीपी ट्रैफिक अजय चौधरी
- एडिशनल सीपी ट्रैफिक दिनेश गुप्ता
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सदस्य वीरेंद्र शर्मा
याचिकाकर्ता के चार प्रमुख तर्क:
- 15 साल की वैधता के बावजूद जब्ती क्यों?
वाहन अधिनियम के अनुसार, 15 साल बाद भी 5-5 साल के रिन्युअल का प्रावधान है। इसके बावजूद जब्ती पूरी तरह गैरकानूनी है। - संविधान का उल्लंघन
अनुच्छेद 300A, 19(1)(ग), 19(1)(ड), और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन किया गया है। यह नागरिकों की संपत्ति और जीवन की स्वतंत्रता पर सीधा आघात है। - फर्जी बहानों से कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट और NGT के पुराने आदेशों का गलत हवाला देकर गाड़ियों को जब्त किया जा रहा है। - गंभीर धाराओं में कार्रवाई की मांग
याचिकाकर्ता ने IPC और BNSS की धाराएं 303, 309 (डकैती), 318(4) (धोखाधड़ी), 198, 199 (लोक सेवक की अवहेलना), 61(1)(2) (षड्यंत्र) और 336(1) (जालसाजी) के तहत कार्रवाई की मांग की है।
अब तक क्या हुआ है इस नीति को लेकर?
2014 में NGT ने 15 साल पुराने वाहनों पर रोक लगाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में उसे दोहराया। इसके बाद वायु गुणवत्ता आयोग ने जुलाई 2025 से 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन न देने का आदेश दिया। जनता में इस आदेश को लेकर भारी विरोध हुआ और अब 1 नवंबर 2025 तक प्रतिबंध को स्थगित कर दिया गया है।
क्या हो सकता है असर?
अगर कोर्ट इस याचिका पर याचिकाकर्ता के पक्ष में कोई आदेश देता है, तो यह फैसला न सिर्फ दिल्ली सरकार बल्कि केंद्रीय एजेंसियों के लिए भी एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। इसके साथ ही पूरे देश में वाहनों की स्क्रैपिंग और जब्ती से जुड़े नियमों की नैतिक और संवैधानिक वैधता पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।