फरीदाबाद की नीमका जेल में बंद गैंगस्टर राजू भाटी की रविवार को तड़के के बाद मौत हो गई। राजू भाटी, जिसे विभिन्न राज्यों के थानों में 30 से ज्यादा मामलों में शामिल किया गया था, फरीदाबाद जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था।
पुलिस के अनुसार राजू भाटी की जेल में तबीयत खराब हो गई थी और उसे 2 फरवरी को फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने उसके पेट में इन्फेक्शन की समस्या का पता लगाया और उसे इलाज के लिए रखा गया, लेकिन रविवार की सुबह 2 बजे उसकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उसे इमरजेंसी में ले जाया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई। राजू भाटी की मौत के बाद पुलिस ने परिजनों को सूचित किया और उन्हें शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल ले जाने की इजाजत दी। पुलिस ने धारा 174 के तहत कार्रवाई शुरू की है, जो मौत की जांच के लिए होती है। बता दें कि राजू भाटी की उम्र 41 वर्ष थी और वो मूलरूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के हुसैनी शेरगढ़ गांव का निवासी था। जिसने अपनी गिनती में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के कई जिलों में अपराधों का सामना किया था। हरियाणा के पलवल और फरीदाबाद में उन पर लूट, डकैती, हत्या, गैंगस्टर एक्ट आदि के तहत कुल 30 मुकदमें दर्ज थे।

जज की निगरानी में हुआ पोस्टमाॅर्टम
राजू भाटी को इन मामलों में अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी और वो फिलहाल करीब 8 साल से फरीदाबाद की नीमका जेल में बंद था। उसकी मौत के बाद पुलिस ने परिजनों को सूचित किया और शनिवार को उन्हें हस्पताल पहुंचने के लिए कहा था। मौत के बाद शव का पोस्टमॉर्टम जज की निगरानी में अस्पताल में किया गया और फिर शव को परिजनों को सौंप दिया गया।

गैंगस्टर बनने का कारण और अपराध ढूंढ रही पुलिस
उसकी तबीयत बिगड़ने के बाद उसे इमरजेंसी में ले जाया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मामले में जांच शुरू की है और धारा 174 के तहत कार्रवाई कर रही है। वहीं राजू भाटी का गैंगस्टर बनने का कारण और उनके अपराधों की गिनती की जा रही है, जिससे उनका पूरा पृष्ठभूमि सामने आ सके। घटना दिखाती है कि अपराधिक गतिविधियों से जुड़े व्यक्तियों के लिए जेल में रहना भी जीवन की समस्याएं पैदा कर सकती हैं और इससे उनकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
