Fake caste certificate case in Gurugram mayor election: High Court and civil court strict, notice to 4 including DC-Mayor

Gurugram मेयर चुनाव में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला: हाईकोर्ट और सिविल कोर्ट की सख्ती, DC-मेयर समेत 4 को नोटिस

गुरुग्राम

Gurugram मेयर चुनाव में फर्जी जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate) के कथित इस्तेमाल को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अब इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट और गुरुग्राम की सिविल कोर्ट ने सक्रिय भूमिका निभाते हुए कई अधिकारियों और नेताओं को नोटिस जारी किए हैं।

सिविल कोर्ट का आदेश: 1 मई को पेश हों सभी प्रतिवादी

महाराजा दक्ष प्रजापति महासभा की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुग्राम सिविल कोर्ट ने:

  • डिप्टी कमिश्नर अजय कुमार
  • एडीसी हितेश कुमार मीणा
  • वर्तमान मेयर राजरानी मल्होत्रा (BJP)
  • पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी सीमा पाहुजा

को नोटिस जारी कर 1 मई 2025 को अदालत में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने विशेष रूप से रविवार को जारी किए गए जाति प्रमाण-पत्र पर जवाब तलब किया है।

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हाईकोर्ट में भी मामला लंबित

इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए थे। इस याचिका पर अगली सुनवाई 22 मई को होनी तय है।

क्या है मामला?

याचिकाकर्ता यशपाल प्रजापति, अध्यक्ष – महाराजा दक्ष प्रजापति महासभा, ने आरोप लगाया है कि:

  • गुरुग्राम मेयर पद के लिए आरक्षण BC-A कैटेगरी के अंतर्गत था।
  • भाजपा की मेयर राजरानी मल्होत्रा और कांग्रेस प्रत्याशी सीमा पाहुजा, दोनों ही पंजाबी बिरादरी से आती हैं और BC-A वर्ग में नहीं आतीं।
  • बावजूद इसके, फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर नामांकन दाखिल किया गया।
  • रविवार जैसे सार्वजनिक अवकाश के दिन भी जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया, जो नियमों के खिलाफ है।

क्यों नोटिस जारी किए गए?

  • DC अजय कुमार: कार्रवाई न करने के आरोप में
  • ADC हितेश मीणा: रविवार को सर्टिफिकेट जारी करने में संलिप्तता को लेकर
  • राजरानी मल्होत्रा और सीमा पाहुजा: फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने के आरोप में

राजनीतिक पृष्ठभूमि

बीजेपी प्रत्याशी राजरानी मल्होत्रा ने गुरुग्राम मेयर चुनाव में 1.79 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। यह मुकाबला सीधे तौर पर कांग्रेस प्रत्याशी सीमा पाहुजा से था। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह बड़ी राजनीतिक और कानूनी चुनौती बन सकती है।

सीनियर एडवोकेट बनवारी लाल का बयान

“अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी पक्ष अपने संबंधित दस्तावेजों के साथ कोर्ट में पेश हों। ADC से यह पूछा जाएगा कि उन्होंने अवकाश वाले दिन प्रमाण पत्र क्यों और कैसे जारी किया। वहीं DC की भूमिका पर भी जवाब मांगा गया है।”

क्या आगे हो सकता है?

यदि कोर्ट में यह साबित हो जाता है कि जाति प्रमाण पत्र नियमों के विरुद्ध और झूठे दस्तावेजों के आधार पर जारी किए गए, तो दोनों प्रत्याशियों की उम्मीदवारी अमान्य की जा सकती है और चुनाव परिणाम को चुनौती दी जा सकती है।

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