हिसार जिले के हांसी शहर के रहने वाले जितेंद्र पाल सिंह लघु कलाकृति बनाने में बहुत माहिर है। जितेंद्र पाल सिंह ने अपनी कला से एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में लगभग 35 नाम दर्ज कराए हैं। उन्होंने 10 दिन में पूरी हनुमान चालीसा लिख डाली है। पाल ने इसके हर पन्ने को लेमिनेट किया है, इससे इसे सुरक्षित रखा जा सकेगा। खास बात यह है कि इसे हर कोई आसानी से पढ़ सकता।
उन्होंने एक सेंटीमीटर लंबी और आदा सेंटीमीटर चौड़ी हनुमान चालीसा की किताब लिख डाली है। इसके साथ ही दावा किया है कि इस पुस्तक में 15 पृष्ठों पर हनुमान चालीसा लिखी गई है। वहीं इसके प्रमुख पृष्ठ पर हनुमानजी का पर्वत उठाते हुए चित्र बना हुआ है। इस पुस्तक की कुछ खासियत भी हैं, जिन्हें उन्होंने हमें बताया है। फिलहाल वो हांसी के प्राइवेट स्कूल में कला शिक्षक हैं। वह अपने भाई थरिन्द्रपाल सिंह की दुकान पर पेंटिंग भी बनाते हैं।
चावल के दाने पर बनाए थे 10 देशों के झंडे
बता दें कि साल 1992 में उन्होंने पहली बार चावल के दाने पर 10 देशों के झंडे बना दिए थे। उन्होंने अब तक का सबसे छोटा चरखा भी बना डाला है। उनके बारे में कोई सुनता है, तो चक्कर आने लगते हैं। इसके अलावा शतरंज, सबसे छोटा गिटार, सबसे छोटा बजाने वाला ड्रम, सर्प- सीढ़ी, पेन और अन्य चीजें उन्होंने बना डाली हैं। हालांकि इनका उपयोग भी किया जा सकता है।
जैकेट सिलाई की सुई में पिरोये 26,700 रेशम के धागे
उन्होंने 2005 में एक ही सुई में 780 धागे पिरोकर सभी को हैरान कर दिया था। साल 2020 में जैकेट सिलाई की सुई में 26700 रेशम के धागे डालकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज किया था। जतिंद्रपाल ने बताया कि जब वह पांचवीं कक्षा में पढ़ते थे, तो अपने भाई को दुकान पर पेंटिंग बनाते देखते थे. वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली।
खिलाड़ियों पर बरसाया जा रहा पैसा, कला वालो के हाथ खाली
अब तक उन्हें राज्यपाल, पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और सामाजिक संस्थाओं से कई सम्मान मिल चुके हैं, लेकिन आज भी उन्हें सरकार पर तरस आता है। उनका कहना है कि जिस तरह सरकार खिलाड़ियों पर पैसा बरसाती है, उसी तरह कला के क्षेत्र में नाम कमाने वाले लोगों को भी पैसा देना चाहिए।