Chandigarh चुनावी हार की श्रृंखला से जूझ रही कांग्रेस अब अपने प्रदेश संगठनों में व्यापक फेरबदल की तैयारी में है। उड़ीसा और महाराष्ट्र में नए प्रदेशाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद अब हरियाणा कांग्रेस में भी बड़े बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की कुर्सी खतरे में मानी जा रही है, और उनकी जगह नए चेहरे की तलाश शुरू हो चुकी है।
इसके अलावा, हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद भी खाली है, जिसे बजट सत्र से पहले भरा जा सकता है। पार्टी जातीय और गुटीय संतुलन साधते हुए दोनों महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करने की योजना बना रही है।

हरियाणा कांग्रेस में नया प्रदेश अध्यक्ष कौन, संभावित नामों की चर्चा तेज
हरियाणा कांग्रेस में नए प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कई नाम सामने आ रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला, अंबाला से सांसद वरुण चौधरी और पूर्व विधायक राव दान सिंह शामिल हैं। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, नए अध्यक्ष का चयन जातीय समीकरण और पार्टी की भविष्य की रणनीति को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।
1. वरुण चौधरी – दलित समुदाय से आने का फायदा
अगर कांग्रेस दलित समुदाय से ही नया अध्यक्ष चुनने का फैसला करती है, तो वरुण चौधरी इस पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। उनके पिता भी कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं और खुद वरुण चौधरी अंबाला से सांसद हैं। हालांकि, एक चुनौती यह है कि उनकी पत्नी भी विधायक हैं, जिससे एक ही परिवार में दो महत्वपूर्ण पद देने को लेकर पार्टी असमंजस में है।
2. रणदीप सुरजेवाला – राष्ट्रीय राजनीति से प्रदेश में वापसी की अटकलें
रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं और संगठन पर उनकी मजबूत पकड़ है। अगर पार्टी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाती है, तो इसका प्रभाव जाट और अन्य समुदायों पर भी पड़ेगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या वह राष्ट्रीय राजनीति से वापस आकर प्रदेश स्तर की जिम्मेदारी संभालना चाहेंगे?
3. राव दान सिंह – हुड्डा खेमे के करीबी होने का लाभ
पूर्व विधायक राव दान सिंह भी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए प्रमुख दावेदारों में हैं। उन्हें भूपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी माना जाता है, जिससे उन्हें हुड्डा खेमे का समर्थन प्राप्त हो सकता है। अगर कांग्रेस प्रदेश में हुड्डा की पकड़ को और मजबूत करना चाहती है, तो यह नाम चर्चा में बना रह सकता है।

हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति भी जल्द, ये नाम सबसे आगे
हरियाणा कांग्रेस में सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद भी महत्वपूर्ण है। पार्टी बजट सत्र से पहले इस पद पर भी नियुक्ति कर सकती है। इस पद के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा, अशोक अरोड़ा और डॉ. रघुबीर कादियान के नाम सबसे आगे हैं।
1. भूपेंद्र सिंह हुड्डा – सबसे अनुभवी विकल्प
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक हैं। अगर पार्टी अनुभवी और प्रभावशाली नेता को यह जिम्मेदारी देना चाहती है, तो हुड्डा सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि, पार्टी संतुलन बनाए रखने के लिए किसी अन्य नेता को भी मौका दे सकती है।
2. अशोक अरोड़ा – गैर-जाट समुदाय के लिए मजबूत चेहरा
अशोक अरोड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं और गैर-जाट समुदाय से आते हैं। अगर पार्टी संतुलन साधते हुए नेता प्रतिपक्ष पद किसी गैर-जाट नेता को देना चाहती है, तो अरोड़ा उपयुक्त विकल्प हो सकते हैं।
3. डॉ. रघुबीर कादियान – अनुभवी विधायक के तौर पर संभावित नाम
डॉ. रघुबीर कादियान हरियाणा की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं। अगर पार्टी किसी अनुभवी विधायक को यह जिम्मेदारी देना चाहती है, तो वह इस दौड़ में महत्वपूर्ण नाम बन सकते हैं।

कांग्रेस में अंदरूनी कलह बनी सबसे बड़ी चुनौती
हरियाणा कांग्रेस लंबे समय से गुटबाजी से जूझ रही है। संगठन में स्पष्ट नेतृत्व न होने के कारण पिछले 11 वर्षों से पार्टी के अंदर अंतर्कलह बढ़ता ही गया है। विधानसभा चुनावों में हार के पीछे भी संगठन की कमजोरी को मुख्य कारण माना गया है।
चुनाव प्रचार के दौरान ही पार्टी के अंदर असहमति के सुर सुनाई देने लगे थे। असंध के पूर्व विधायक शमशेर गोगी ने प्रचार में भूपेंद्र हुड्डा की निष्क्रियता पर सवाल उठाए थे, जबकि पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव और रण सिंह मान ने भी हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे।
कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने भी यह स्वीकार किया कि करीब 10-15 सीटों पर गलत उम्मीदवारों को टिकट दिया गया, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ। मतगणना के दौरान धांधली की शिकायतें भी आईं, लेकिन पार्टी ने इस पर ठोस कार्रवाई नहीं की।

प्रदेश अध्यक्ष उदयभान पर इस्तीफे का दबाव
प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने सीधे तौर पर उन पर हमला बोलते हुए उनके इस्तीफे की मांग कर दी थी। बीरेंद्र सिंह का कहना है कि हार के बाद उदयभान को खुद ही नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ देना चाहिए था। हालांकि, उदयभान ने स्पष्ट किया है कि इस पर अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान लेगा और वह अपने पद पर बने रहेंगे।
निकाय चुनावों से पहले कांग्रेस में बड़े फैसलों की संभावना
हरियाणा में आगामी निकाय चुनावों को देखते हुए कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की योजना बना रही है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बदलने के साथ-साथ नया संगठन तैयार करने की दिशा में काम करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कांग्रेस को हरियाणा में अपनी पकड़ मजबूत करनी है, तो उसे संगठन को नए सिरे से खड़ा करना होगा।