➤ 18 हजार करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले अभी तक केवल 12,615 करोड़ रुपये का ही हुआ राजस्व
➤ ठेकेदारों पर हमले, डर और नीलामी प्रक्रिया में रुचि की कमी बनी बड़ी चुनौती
➤ आबकारी विभाग का दावा – अब केवल 113 जोन बचे हैं, जल्द पूरी होगी नीलामी
हरियाणा सरकार को शराब ठेकों की नीलामी से मिलने वाला लाइसेंस राजस्व इस बार अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुंच पाया है। सरकार ने वर्ष 2025-27 के लिए आबकारी नीति के अंतर्गत करीब 18 हजार करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य की घोषणा की थी, लेकिन अब तक केवल 12,615 करोड़ रुपये की ही प्राप्ति हो सकी है।
राज्य भर में 1194 आबकारी जोन बनाए गए थे, जिनमें से 1081 जोन की नीलामी पूरी हो चुकी है, लेकिन अब भी 113 जोन की नीलामी लंबित है। अधिकारियों का दावा है कि यह नीलामी कुछ ही दिनों में पूरी हो जाएगी।
सरकारी आंकड़ों और दावों के बीच मतभेद भी सामने आ रहे हैं। आबकारी विभाग के अनुसार केवल डेढ़ हजार करोड़ रुपये की कमी शेष है, लेकिन राजस्व रिकॉर्ड को देखें तो साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये की कमी स्पष्ट तौर पर दिखाई देती है।
ठेकेदारों पर हमले, गैंगस्टरों की धमकियां और नीलामी में रुचि की कमी जैसी वजहों से कई क्षेत्रों में अभी तक बोली प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि पुलिस की सख्ती से अब माहौल काफी सुधरा है।
3 जुलाई 2025 को हुई नीलामी में 21 जोन की बिक्री से 215 करोड़ रुपये का राजस्व मिला। विभाग को उम्मीद है कि आगामी दिनों में बचे हुए 113 जोन की नीलामी पूरी कर ली जाएगी।
आबकारी एवं कराधान आयुक्त विनय प्रताप सिंह ने कहा कि राज्य में शराब की दुकानें ई-नीलामी पोर्टल के माध्यम से पूरी पारदर्शिता से दी जा रही हैं। अभी तक 2150 से अधिक दुकानें खुल चुकी हैं और हर जोन में दो-दो शराब दुकानें खोले जाने की अनुमति है।
विवाद इस बात को लेकर है कि विभाग नीलामी से जुड़ी उपलब्धि को दो साल की नीति में शामिल करने के बजाय एक साल का आंकड़ा देकर अपनी पीठ थपथपा रहा है, जबकि वास्तविकता में अभी नीलामी का बड़ा हिस्सा बाकी है और राजस्व में कमी भी स्पष्ट है।