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हरियाणा बना पहला राज्य जिसने स्कूलों में लागू किया तीन-भाषा फॉर्मूला!

हरियाणा हरियाणा की बड़ी खबर

Haryana Three Language Policy: हरियाणा सरकार ने नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत तीन-भाषा फॉर्मूला लागू करने का बड़ा फैसला लिया है। बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन, भिवानी के तहत आने वाले स्कूलों में कक्षा IX और X के छात्रों के लिए हिंदी और अंग्रेजी अनिवार्य होगी। तीसरी भाषा के रूप में छात्र संस्कृत, पंजाबी या उर्दू में से किसी एक का चयन कर सकेंगे

सरकार के 20 फरवरी 2025 को जारी आदेश के अनुसार, यह नई व्यवस्था 2025-26 के शैक्षणिक सत्र में कक्षा IX से शुरू होगी और 2026-27 में कक्षा IX और X दोनों के लिए लागू होगी। इसके अलावा, छात्रों को गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय भी पढ़ने होंगे, जबकि व्यावसायिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, चित्रकला और संगीत जैसे वैकल्पिक विषय चुनने का विकल्प मिलेगा।

पंजाबी शिक्षकों ने फैसले का किया स्वागत

पंजाबी टीचर्स एंड लैंग्वेज प्रमोशन सोसाइटी (PTLPS) के अध्यक्ष हरजीत गिल, संरक्षक पूरण सिंह बडेच, राज्य संयोजक नायब सिंह मंडेर, और वरिष्ठ उपाध्यक्ष गुरदीप सिंह ने हरियाणा सरकार के इस फैसले की सराहना की। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, शिक्षा मंत्री महिपाल ढांढा, प्रमुख सचिव पंकज अग्रवाल और माध्यमिक शिक्षा निदेशक जीतेन्द्र कुमार का आभार व्यक्त किया।

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सोसाइटी का मानना है कि यह नीति छात्रों में नैतिक मूल्यों को बढ़ाएगी और भारत और विदेशों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में मदद करेगी। उन्होंने मांग की कि तीन-भाषा फॉर्मूला सभी CBSE स्कूलों में भी लागू किया जाए ताकि हरियाणा के सभी IX-X कक्षा के छात्र इसका लाभ उठा सकें।

पंजाबी शिक्षकों ने अतिरिक्त सुधारों की उठाई मांग

PTLPS महासचिव सुनील गोयल ने शिक्षा विभाग से पंजाबी शिक्षकों की लंबे समय से लंबित पदोन्नतियों को शीघ्र पूरा करने की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि हरियाणा बोर्ड में IX-XII कक्षा के लिए CBSE का पंजाबी पाठ्यक्रम लागू किया जाए, क्योंकि यह छात्रों की रुचियों और कौशल के अनुरूप अधिक व्यवस्थित है।

गोयल ने मांग की कि पंजाबी भाषा की किताबें सभी सरकारी स्कूलों में नए सत्र से पहले उपलब्ध करवाई जाएं। इसके अलावा, पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, फतेहाबाद, सिरसा, करनाल और कैथल जैसे पंजाबी-भाषी जिलों में सरकारी और निजी स्कूलों में पंजाबी शिक्षकों की अनिवार्य नियुक्ति की जाए।

सोसाइटी ने सुझाव दिया कि इन जिलों में कक्षा III से पंजाबी को एक विषय के रूप में शामिल किया जाए, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत छात्रों को भाषा का बेहतर ज्ञान मिल सके।