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अनिल विज ने PPP मोड में बन रहे बस स्टैंडों पर उठाए सवाल

हरियाणा
  • हरियाणा के मंत्री अनिल विज PPP मोड पर बन रहे बस स्टैंडों की पारदर्शिता और राजस्व मॉडल पर नाराज हैं।
  • उन्होंने अधिकारियों को अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन कर ठोस रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
  • विज ने स्पष्ट किया कि जनहित के खिलाफ कोई अपारदर्शी योजना स्वीकार नहीं की जाएगी।

हरियाणा सरकार में वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री अनिल विज एक बार फिर अपने स्पष्ट और जनहितैषी रुख के लिए चर्चा में हैं। इस बार उनका निशाना बना है राज्य में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड पर प्रस्तावित तीन नए बस स्टैंडों का निर्माण। विज ने साफ कर दिया है कि जब तक इस मॉडल से मिलने वाले सरकारी राजस्व की स्पष्टता नहीं होगी, तब तक वह इस योजना को हरी झंडी नहीं देंगे।

इन बस स्टैंडों का निर्माण कुरुक्षेत्र के पिपली, सोनीपत और गुरुग्राम में किया जाना है। परियोजनाएं पीपीपी मोड में विकसित की जानी हैं, लेकिन विज का कहना है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई बार प्राइवेट कंपनियां इन योजनाओं पर इस तरह काम करने लगती हैं मानो वह उनकी निजी संपत्ति हो।

विज ने संबंधित अधिकारियों को अन्य राज्यों में अपनाए गए पीपीपी मॉडल का अध्ययन करने, नियम और शर्तों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने और विस्तृत राजस्व मॉडल तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की हिस्सेदारी होते हुए भी अगर पूरा लाभ निजी कंपनियों को ही मिले, तो ऐसी प्रणाली जनहित के अनुकूल नहीं कही जा सकती।

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उनका यह रुख कोई नया नहीं है। इससे पहले भी, उन्होंने अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में PPP मॉडल पर चल रहे एमआरआई और सीटी स्कैन केंद्र का निरीक्षण किया था और वहां की व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने सार्वजनिक रूप से अधिकारियों को फटकारते हुए इस व्यवस्था में सुधार के निर्देश दिए थे।

कुरुक्षेत्र के पिपली में जिस बस स्टैंड को लेकर चर्चा हो रही है, वह परियोजना वर्षों से लंबित है। 2023 में भी तत्कालीन विधायक सुभाष सुधा ने इस योजना की घोषणा की थी, जिसमें 125 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक बस स्टैंड, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मल्टीस्टोरी भवन बनना प्रस्तावित था। हालांकि, अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है।

अनिल विज की नाराजगी के केंद्र में है यह सवाल कि क्या सरकार इस तरह की साझेदारियों से वास्तव में लाभ उठा रही है या फिर निजी कंपनियों को अनुचित फायदा हो रहा है? विज का कहना है कि केवल अच्छी सुविधाएं देने के नाम पर अपारदर्शी ढांचे को अपनाना ठीक नहीं है।

इस पूरे मामले से यह संकेत साफ मिलते हैं कि अनिल विज पीपीपी परियोजनाओं को आंख मूंदकर मंजूरी देने के पक्ष में नहीं हैं, और वे चाहते हैं कि हर परियोजना में जनहित सर्वोपरि रहे। उनका यह रुख आने वाले समय में राज्य की नीतियों को प्रभावित कर सकता है, खासकर बुनियादी ढांचे और परिवहन क्षेत्र में।