➤हरियाणा में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर मंत्री-विधायकों की नाराजगी
➤मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने CMO अधिकारियों को फाइलें रोकने पर फटकार लगाई
➤1500 से अधिक ट्रांसफर फाइलें सीएमओ में अटकी, मंत्री-विधायक शिकायत में आए सामने
हरियाणा में कर्मचारियों और अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर एक बार फिर मंत्री और विधायकों में नाराजगी देखने को मिली है। यह नाराजगी हाल ही में चंडीगढ़ स्थित संत कबीर कुटीर में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई विधायक दल की बैठक में खुलकर सामने आई। बैठक में दक्षिण हरियाणा से पार्टी के एक विधायक ने ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे को उठाया और कहा कि लंबे समय से CMO के अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उनकी फाइलों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। विधायक ने यहां तक कहा कि सामान्य विधायक होने के बावजूद भी ट्रांसफर नहीं हो पा रहे जबकि मंत्रियों की फाइलें भी अटकी हैं।
इस बयान का कई कैबिनेट मंत्रियों ने समर्थन किया और एक मंत्री ने साफ कहा कि उनकी ट्रांसफर फाइलें भी CMO में जलेबी की तरह घुमाई जाती हैं। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस बात से काफी असहज हुए और उन्होंने CMO के एक HCS रैंक के अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि मंत्रियों और विधायकों की ट्रांसफर फाइलों को अनावश्यक रूप से रोका नहीं जाना चाहिए। बैठक के बाद जब विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र की ओर जा रहे थे, तो संबंधित अधिकारी ने फोन कर उनकी फाइलें मंजूर कर दीं।
सूत्रों की मानें तो वर्तमान में हरियाणा सीएमओ में कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों की लगभग 1500 से अधिक ट्रांसफर फाइलें लंबित हैं। दक्षिण हरियाणा के एक मंत्री ने बताया कि उनके पास अकेले ही 200 से अधिक फाइलें अटकी हुई हैं।
हरियाणा में ट्रांसफर प्रक्रिया दो प्रकार से होती है। पहला, विधायक या मंत्री की ओर से सिफारिश नोट भेजा जाता है, जिसे CMO में एक OSD अधिकारी मंजूरी देता है। अगर विभाग में खाली पद नहीं होता है तो यह फाइल मुख्यमंत्री से मंजूरी के लिए जाती है। दूसरा, संबंधित मंत्री को आवेदन देने के बाद फाइल संबंधित महकमे के एसीएस अधिकारी तक पहुंचती है, जो फिर मंत्री के जरिए मुख्यमंत्री के पास भेजी जाती है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पहले ही साफ कर चुके हैं कि राज्य में सभी ट्रांसफर ऑनलाइन होते हैं और कोई भी मंत्री या विधायक ट्रांसफर का अधिकार सीधे नहीं रखता। यदि किसी कर्मचारी को ट्रांसफर की जरूरत हो तो उसे ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
इसका मतलब यह हुआ कि प्रदेश में ट्रांसफर-पोस्टिंग का पूरा अधिकार मुख्यमंत्री कार्यालय के HCS रैंक के OSD अधिकारी के पास है। मंत्रियों को चपरासी, स्वीपर जैसी ग्रुप-D की पोस्टिंग तक करने का अधिकार नहीं है। पूर्व में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के दूसरे कार्यकाल में कुछ सीमित समय तक मंत्रियों को ग्रुप-B तक ट्रांसफर का अधिकार मिला था, लेकिन 2020 से यह अधिकार वापस ले लिया गया है और अब फिर से मुख्यमंत्री कार्यालय के अधीन ही पूरा नियंत्रण है।

