Yamunanagar राजनीति में आने के लिए लोग अलग-अलग रास्ते अपनाते हैं। कोई छात्र राजनीति से शुरू करता है, तो कोई परिवारिक विरासत के सहारे सत्ता के गलियारों में जगह बनाता है। लेकिन भाजपा की मेयर उम्मीदवार सुमन बहमनी ने राजनीति में एंट्री के लिए एक अलग राह चुनी( उन्होंने सरकारी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर राजनीति में कदम रखा।

सरकारी नौकरी से वीआरएस तक का सफर
सुमन बहमनी सरकारी सेवा में रहते हुए भी सामाजिक कार्यों में सक्रिय थीं, लेकिन उनका असली लक्ष्य राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाना। इसी उद्देश्य से उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा। आमतौर पर नौकरशाह सरकारी सेवा में रहते हुए राजनीति से दूरी बनाए रखते हैं, लेकिन सुमन बहमनी ने इस परंपरा को तोड़ा और सत्ता के गलियारों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने का फैसला किया।
संघ और संगठन से मजबूत पकड़ ने दिलाई टिकट
भाजपा ने मेयर पद के लिए 17 आवेदन प्राप्त किए थे, जिनमें से 5 नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया। इनमें कई बड़े नाम भी थे, लेकिन अंतिम सूची में सुमन बहमनी का नाम सबसे ऊपर रहा। इसकी सबसे बड़ी वजह संघ और संगठन में उनकी गहरी पैठ को बताया जाता है। सुमन बहमनी 1994 से ही भाजपा संगठन से जुड़ी हुई हैं। प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी वे सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहीं, जिससे जनता के बीच भी उनकी पहचान बनी। मधुरभाषी स्वभाव और प्रबंधन कौशल के कारण वे पार्टी के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार साबित हुईं।

साढौरा से टिकट की दौड़ में निराशा, लेकिन मिला बड़ा मौका
सुमन बहमनी ने बीते विधानसभा चुनाव में साढौरा सीट से टिकट के लिए दावेदारी पेश की थी। हालांकि, उन्हें वहां टिकट नहीं मिला। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और पार्टी के साथ लगातार जुड़े रहकर संगठन में सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी मेहनत और समर्पण का ही नतीजा है कि पार्टी ने उन्हें मेयर पद के लिए टिकट देकर एक बड़े अवसर से नवाजा।
भाजपा की रणनीति में फिट
भाजपा लगातार महिलाओं को बड़े पदों पर मौका दे रही है। सुमन बहमनी की उम्मीदवारी इसी दिशा में एक और कदम है। संघ की अनुशासनात्मक सोच और भाजपा का सांगठनिक ढांचा अक्सर एक साथ चलते हैं। सुमन बहमनी संघ की विचारधारा से प्रभावित हैं और संगठन में गहरी पकड़ रखती हैं।
परिवारिक पृष्ठभूमि भी बनी सहायक
सुमन बहमनी का राजनीति और प्रशासन दोनों से गहरा नाता है। उनके पति डॉ. सतपाल बहमनी आयुष विभाग से सेवानिवृत्त हैं, जबकि उनके पिता टेक चंद जेल विभाग में डीएसपी रहे हैं। इस प्रशासनिक पृष्ठभूमि ने उन्हें सरकारी कामकाज की बारीक समझ दी है, जिससे वे राजनीति में भी कुशलता से आगे बढ़ सकती हैं।
अब असली परीक्षा बाकी है…
अब जब सुमन बहमनी को भाजपा ने मेयर पद के लिए टिकट दिया है, तो असली परीक्षा चुनावी मैदान में होगी। उनके प्रशासनिक अनुभव और सांगठनिक पकड़ को देखते हुए यह साफ है कि वे एक मजबूत उम्मीदवार हैं। लेकिन जनता उन्हें किस हद तक स्वीकार करती है, यह आने वाला समय ही बताएगा।