रोहतक के कलानौर बीडीपीओ कार्यालय पर तालाबंदी करने को लेकर सरपंचों पर दर्ज करवाई गई एफआईआर के विरोध में जिले के सरपंच सोमवार को रोहतक के बीडीपीओ कार्यालय में एकत्रित हुए। उन्होंने डीसी अजय कुमार से मुलाकात कर अपनी मांगें रखी। उन्होंने कहा कि सरपंचों पर एफआईआर दर्ज करना गलत है। जिसको तुरंत वापस लिया जाए। सरपंचों को विकास कार्य करने के लिए भी अधिकार नहीं दिए गए, जिसके कारण उनमें रोष है।
सरपंच एसोसिएशन के राज्य प्रधान रणबीर गिल ने कहा कि अब सभी सरपंच मिलकर पंचायती राज के अधिकारों को पूर्ण बहाल करने की लड़ाई लड़ेंगे। सरकार द्वारा पंचायती राज अधिनियम के अधिकारों का हनन किया जा रहा है, इसलिए सरकार को 5 नवंबर तक का समय दिया गया है। सरकार इस अवधि में पंचायती राज के सभी अधिकार सरपंचों को दे, ताकि वे विकास कार्य कर पाएं। गांव में विकास कार्य नहीं हो पा रहे। अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती है, तो वे 5 नवंबर को सरकार के खिलाफ आंदोलन का बड़ा फैसला लेंगे।
प्रदेश स्तरीय पंचायती राज अधिकार बचाओ करेंगे रैली
उन्होंने बताया कि टोहाना में 5 नवंबर को प्रदेश स्तरीय पंचायती राज अधिकार बचाओ रैली करेंगे। जिसमें प्रदेशभर के सरपंच भाग लेंगे। अगर सरकार मांग नहीं मानती तो वे चुनाव को लेकर फैसला लेंगे। साथ ही भाजपा जजपा सरकार का बहिष्कार भी करने से पीछे नहीं हटेंगे। चुनाव में भाजपा का विरोध करके मजबूत साथियों का समर्थन किया जाएगा। गिल ने कहा कि आज सरकार से हर व्यक्ति दुखी है। पहले परिवार की आय का पंचायतें सर्वे करके देती थी, लेकिन आज फैमिली आईडी के माध्यम से गलत इनकम दर्शाई गई है।
सरकार की मंशा साफ नहीं, बजट पर निगाह
उन्होंने सुझाव दिया कि संविधान में जो अधिकार दिए हैं, वे सरपंचों को मिले। देश का विकास तभी होगा, जब नीचे से विकास होगा। सरकार की मंशा साफ नहीं है, इनकी निगाह पंचायती राज के बजट पर हैं। 2 साल जब पंचायतें नहीं थी तो सरकार ने अधिकारियों से मिलकर पंचायती राज का बजट हड़पा था। इस दौरान गांव कबूलपुर के सरपंच अमर, ब्राह्मणवास के सरपंच कर्मबीर, गांव मायना के सरपंच पति प्रवीण, पाक्समा के सरपंच जयभगवान, गांव बैखेता के सरपंच पति चांद, गांव सिंहपुरा के सरपंच सुमित व मकड़ोली के सरपंच जसवंत, लाढौत के सरपंच संदीप आदि उपस्थित रहे।