● मुख्यमंत्री से आश्वासन मिलने के बाद लिया गया निर्णय
● खरीफ सीजन से पहले किसानों को मिली बड़ी राहत
संशोधित विस्तृत खबर
Haryana Seed Bill: हरियाणा में बीज और कीटनाशकों की बिक्री से जुड़े विक्रेताओं की सात दिवसीय हड़ताल को फिलहाल 16 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। सोमवार से शुरू हुई इस हड़ताल को लेकर प्रदेशभर के किसान और व्यापारी दोनों ही चिंता में थे, लेकिन कुरुक्षेत्र में हुई एक अहम बैठक के बाद संगठन ने अपनी रणनीति पर फिलहाल विराम लगाने का फैसला किया है। इस बैठक में गठित 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की, जहां मुख्यमंत्री और उनके ओएसडी ने यह भरोसा दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 14 अप्रैल को प्रस्तावित हरियाणा दौरे के बाद, संबंधित अधिकारियों और प्रतिनिधियों के साथ सौहार्दपूर्ण बैठक की जाएगी और सभी मुद्दों पर चर्चा कर समाधान खोजा जाएगा।
मुख्यमंत्री के इस आश्वासन के बाद हरियाणा खाद, बीज, पेस्टिसाइड विक्रेता संगठन ने 8 अप्रैल यानी मंगलवार से सभी दुकानें दोबारा खोलने की घोषणा की है। संगठन ने स्पष्ट किया है कि आगे की रणनीति 16 अप्रैल को होने वाली बैठक में तय की जाएगी। इस निर्णय से किसानों और व्यापारियों को भारी राहत मिली है, क्योंकि खरीफ फसल की बुवाई का समय नजदीक है और बीजों की मांग में तेजी आने लगी है। यदि दुकानें बंद रहतीं, तो किसानों को समय पर बीज न मिलने से बुवाई में देरी होती और उत्पादन पर असर पड़ता।
सोनीपत समेत कई जिलों में सोमवार को प्रदर्शन हुए, जहां विक्रेताओं ने सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई थी। उनका कहना था कि हरियाणा बीज संशोधन विधेयक 2025 में विक्रेताओं पर अनावश्यक जिम्मेदारी डाली जा रही है, जबकि गुणवत्ता के लिए बीज उत्पादकों को उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए। विक्रेताओं की मांग है कि विधेयक में संशोधन कर केवल विक्रय जिम्मेदारी तय की जाए और गुणवत्ता संबंधित दायित्व उत्पादकों पर रखा जाए। यदि सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तो संगठन भविष्य में हड़ताल को फिर से शुरू करने पर विचार कर सकता है।
हरियाणा के सोनीपत जिले में ही खरीफ सीजन के दौरान करीब 2 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है, जिसके लिए समय पर बीजों की उपलब्धता जरूरी है। ऐसे में यह अस्थायी समाधान किसानों के लिए बड़ी राहत बनकर आया है। संगठन ने अपने सभी सदस्यों से एकजुटता बनाए रखने की अपील की है ताकि आने वाले समय में मजबूती से अपनी मांगें सरकार के सामने रखी जा सकें।