Pratap Singh Memorial School Kharkhoda

Sonipat : ज्यूडिशियल सर्विस कम्पीटीटिव एग्जाम में छठा रैंक हासिल कर सिविल जज बनी हिमानी का प्रताप स्कूल में स्वागत

बड़ी ख़बर सोनीपत हरियाणा

हरियाणा के जिला सोनीपत के खरखौदा स्थित प्रताप सिंह मेमोरियल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की पूर्व छात्रा हिमानी ने हिमाचल प्रदेश ज्यूडिशियल सर्विस कम्पीटीटिव एग्जाम में छठा रैंक हासिल कर साबित कर दिया कि मेहनत के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है। हिमानी ने सिविल जज बनकर अपने प्रदेश, क्षेत्र, माता-पिता और स्कूल खरखौदा का नाम रोशन किया है। पूर्व छात्रा की इस उपलब्धि से उसके गांव, माता-पिता, क्षेत्र, प्रदेश और प्रताप स्कूल खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

प्रताप सिंह मेमोरियल विद्यालय के निदेशक एवं द्रोणाचार्य अवॉर्डी ओमप्रकाश दहिया, प्राचार्य दया दहिया, अकादमी निदेशक डॉ. सुबोध दहिया और स्टाफ सदस्यों ने स्कूल में हिमानी का बुके और सम्मान स्वरूप शॉल भेंट कर उनका स्वागत किया। इस दौरान हिमानी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2007 में प्रताप सिंह मेमोरियल विद्यालय में 12वीं कक्षा कॉमर्स संकाय से पास की। उन्होंने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत ही एकमात्र विकल्प है। उन्होंने स्वयं सोशल मीडिया से दूरी बनाई और अपने लक्ष्य को भेदने तक लगातार मेहनत करती रहीं।

हिमानी ने अपने स्कूली जीवन की यादों को वर्तमान विद्यार्थियों के साथ साझा किया। उन्होंने अपने उन अध्यापकों को विशेष धन्यवाद दिया, जिन्होंने आज उन्हें इस पथ पर अग्रसर किया। हिमानी ने स्कूली अनुशासन का महत्त्व समझाते हुए बताया कि किस प्रकार प्रताप स्कूल का अनुशासन उनके जीवन में काम आया। हिमानी ने बताया कि इंटरव्यू के दौरान उनसे पूछा गया कि जीवन के शुरूआती दिनों में सर्वाधिक प्रभाव किनका रहा तो उन्होंने पूरा श्रेय प्रताप स्कूल के पूर्व प्राचार्य स्व. धर्मप्रकाश को दिया।

हिमानी के माता-पिता ने हिमानी को मिली सफलता का श्रेय प्रताप स्कूल को दिया। उनका मानना है कि हिमानी की पढ़ाई के प्रति लगन, कमुनिकेशन स्किल और सकारात्मक सोच की नींव प्रताप स्कूल में ही रखी गई। इसके लिए उन्होंने प्रताप स्कूल के प्रबंधन का आभार जताया। हिमानी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, अपने गुरूजनों और विशेष रूप से अपने प्राचार्य स्व. धर्मप्रकाश को दिया। जिनके मार्गदर्शन से प्रेरित होकर आज वह इस मुकाम पर पहुंची।

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