Hisar नगर निगम में हुए 17 लाख रुपये के फर्जी मेडिकल बिल घोटाले का मास्टरमाइंड डाटा एंट्री ऑपरेटर जोनी आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने उसे निगम कार्यालय में पूछताछ के बहाने बुलाकर सादे कपड़ों में दबोच लिया।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा
इस घोटाले की परतें तब खुलीं जब सफाई कर्मचारी दलविंद्र द्वारा अपनी पत्नी पूनम के नाम पर जमा किए गए 2.19 लाख रुपये के मेडिकल बिल की जांच हुई। जांच में पाया गया कि यह बिल फर्जी था और इससे पहले भी 8 अन्य फर्जी बिल पास किए जा चुके थे।
सफाई कर्मचारियों के नाम पर निकाले पैसे
कुल 17 लाख रुपये के फर्जी बिल पास कराए गए, जिनमें से 12.23 लाख रुपये केवल सफाई कर्मचारियों के नाम पर थे। इस घोटाले में एक बेलदार, एक माली, तीन सफाई दरोगा और तीन सफाई कर्मचारी भी शामिल पाए गए। सफाई कर्मचारियों ने खुलासा किया कि उन्हें गुमराह कर उनके हस्ताक्षर लिए गए और खातों में आए पैसे आरोपियों ने निकलवा लिए।
जांच कमेटी बनी, कई अधिकारी व कर्मचारी नपे
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए नगर निगम प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया, जांच के बाद कड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपियों पर केस दर्ज कर निलंबन और चार्जशीट के आदेश दिए गए। इनमें डाटा एंट्री ऑपरेटर जोनी, बेलदार सुनील, एएसआई सुरेंद्र के खिलाफ केस दर्ज कराकर निलंबन की कार्रवाई की गई। सफाई कर्मचारी दलविंद्र, क्लर्क गीता, सहायक सुरेंद्र के खिलाफ चार्जशीट के आदेश जारी किए गए।