हिसार के आदमपुर(Adampur) में नगर पालिका का दर्जा खत्म(ending the status of Nagar Palika) करने के मुद्दे पर विवाद(Controversy) हो गया है। मामले में कुलदीप बिश्नोई(Kuldeep) विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं, जबकि उनके समर्थक उनके बचाव में खड़े हो गए हैं। कुलदीप के समर्थकों का कहना है कि आदमपुर का नगर पालिका का दर्जा खत्म करने के लिए सर्वे किया जा रहा है। यह एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसका सभी को पालन करना होता है।
सर्वे का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी इसे अदालत में चुनौती न दे सके। दो साल पहले, 2022 में, सिसाय नगर पालिका का दर्जा भी सर्वे के आधार पर खत्म किया गया था। उस सर्वे में 5011 लोगों के सुझाव लिए गए थे, जिनमें से ज्यादातर ने सिसाय को फिर से पंचायत बनाने के पक्ष में राय दी थी। नगर पालिका शुरू करने या खत्म करने के लिए सरकार सर्वे कराती है ताकि प्रक्रिया पारदर्शी रहे और लोगों की राय का सम्मान हो। आदमपुर में भी ऐसा ही सर्वे किया जा रहा है। इस सर्वे में 5 हजार से ज्यादा लोगों की राय ली जाएगी।

इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही आदमपुर नगर पालिका का दर्जा खत्म करने का निर्णय लिया जाएगा। हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1973 (1973 का 24) की धारा 8 की उप-धारा (1) के तहत हरियाणा के राज्यपाल को नगर पालिका को समाप्त करने का अधिकार है। सिसई गांव का उदाहरण सामने है, जहां 2 पंचायतें हैं – एक सिसई कालीरामण और दूसरी सिसई बोलान। लंबे समय से गांव का एक हिस्सा नगर पालिका बनने के पक्ष में था, जबकि दूसरा हिस्सा इसके विरोध में था। इस विवाद के कारण सरकार ने गांव का सर्वे करवाया।
डीसी ने सरकार को भेजी रिपोर्ट
सर्वे के दौरान लोगों के सुझावों को एकत्रित कर रिपोर्ट तैयार की गई और इसे डीसी को सौंपा गया। डीसी ने यह रिपोर्ट सरकार को भेज दी। सर्वे में 5011 लोगों के सुझाव लिए गए थे, जिसमें अधिकांश लोगों ने सिसई को फिर से पंचायत बनाने की राय दी। भाजपा सरकार के दौरान 20 फरवरी 2019 को सिसई को नगर पालिका बनाने की अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन सर्वे के आधार पर इसे खत्म कर दिया गया।
लोगों की राय का हो सम्मान
आदमपुर के सर्वे की प्रक्रिया भी इसी तरह है। यहां भी 5 हजार से अधिक लोगों की राय ली जाएगी और रिपोर्ट के आधार पर नगर पालिका का दर्जा खत्म किया जाएगा। सर्वे का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोगों की राय का सम्मान हो और कोई भी इसे अदालत में चुनौती न दे सके। यह एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसका पालन हर किसी को करना होता है।
सर्वे राजनीतिक कदम नहीं
कुलदीप बिश्नोई के समर्थकों का कहना है कि यह सर्वे कोई राजनीतिक कदम नहीं है, बल्कि एक कानूनी प्रक्रिया है। वहीं, विरोधियों का कहना है कि यह निर्णय राजनीति से प्रेरित है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सर्वे के बाद क्या निर्णय लिया जाता है और इसे लोग कैसे स्वीकारते हैं।