नीतू हत्याकांड मामला: पति-सास और ससुर को 15-15 साल की सजा, दहेज की बलि चढ़ी थी नीतू

हिसार

नीतू हत्याकांड मामले में दहेज का शिकार हुई नीतू को आज इंसाफ मिला है। हिसार की अतिरिक्त सेशन जज अमित सहरावत की अदालत ने दहेज हत्या के मामले में पति, सास- ससुर को 15 साल सजा सुनाई है। साथ ही जुर्माना लगाया, आरोपियों को जुर्माना अदा न करने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।

क्या था पूरा मामला

शहर थाने में 28 मार्च 2019 को यूपी के कन्नौज वासी बिमलेश की शिकायत पर दहेज हत्या का केस दर्ज हुआ था। बिमलेश ने बताया था कि वह गुरुग्राम में प्राइवेट नौकरी करता है। 27 अप्रैल 2018 को उसकी चचेरी बहन नीतू की शादी यूपी के जिला मैनपुरी के गांव खजुरिया निवासी कुलदीप के साथ हुई थी।

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ससुराल पक्ष के लोग दहेज के लालच में नीतू को प्रताड़ित करते थे। बहन नीतू को ससुराल वाले दहेज के लिए परेशान करते थे। बहन ने घर फोन करके कहा था कि उसे यहां से ले जाओ नहीं तो ससुराल वाले मार देंगे। मृतका के भाई ने बताया जिस समय नीतू को दहेज की भेंट चढ़ाया गया उस समय वह गर्भवती थी।  

पुलिस से मिलीभगत कर ससुर को मिली थी क्लीनचीट

पीड़ित पक्ष के एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि इस केस में पुलिस ने पहले मृतका के ससुर को निर्दोष मानते हुए केस से निकाल दिया था। लेकिन ट्रायल के दौरान धारा 319 सीआरपी  के तहत एप्लीकेशन लगाई कि पुलिस ने ससुर से मिलीभगत करके उसे निकाला है। कोर्ट ने हमारी बात को माना और उसे तलब किया। अदालत में हमने पति कुलदीप, सास श्यामा देवी के साथ राधेश्याम को दोषी साबित किया।

मौत के बाद बिना बताए किया था अंतिम संस्कार

एडवोकेट ने बताया कि कोर्ट ने अधिकतम 15 साल की सजा सुनाई। इसमें कम से कम 7 साल की सजा थी। विवाहिता के परिजन 650 किलोमीटर दूर थे। लड़की के चचेरे भाई ने श्मशान पर चिता पर उसे देखा तो उसके गले पर चोट के निशान थे। पुलिस को कंफर्म किया, तब पुलिस ने डेड बॉडी को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम किया। पुलिस ने श्मशान घाट में पहुंचकर शव कब्जे में लिया था।