हरियाणा में रिश्वत के अलग-अलग मामले में एंटी क्रप्शन ब्यूरो (ACB) के हत्थे चढ़े प्रदेश के दो आईएएस अधिकारी विजय दहिया और जयवीर आर्य को गिरफ्तारी के 20 दिन बाद सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मंजूरी के बाद कार्मिक विभाग की ओर से दोनों अधिकारियों के निलंबन पत्र जारी किए गए।
बताया जा रहा है कि एसीबी की ओर से सरकार को दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी की सूचना नहीं दिए जाने के कारण सस्पेंशन की कार्रवाई में देरी हुई है। कार्मिक विभाग को एसीबी की ओर से रिटेन में इन्फॉर्मेशन नहीं देना बताया गया। क्योंकि कार्मिक विभाग ने एसीबी को लेटर लिखकर आर्य की गिरफ्तारी की जानकारी मांगी थी। मुख्य सचिव कार्यालय को आईएएस विजय दहिया के मामले में समय से जानकारी मिल गई थी, लेकिन सरकारी प्रक्रिया के तहत निलंबन का पत्र जारी होने में करीब 20 दिनों का समय लगा है। फिलहाल दोनों आईएएस अधिकारी अंबाला सेंट्रल जेल में बंद हैं।
बिचौलिये ने शिकायतकर्ता से बकाया लेते हुए भी की थी दहिया से बात
हरियाणा कौशल विकास मिशन में बिल के बदले रिश्वत लेने के मामले में गत 10 अक्तूबर को विभाग के तत्कालीन आयुक्त एवं सचिव विजय दहिया को एसीबी ने गिरफ्तार किया था। इस पूरे मामले का खुलासा शिकायतकर्ता फतेहाबाद निवासी रिंकू मनचंदा के द्वारा ब्यूरो को दी शिकायत में हुआ था। इसके बाद करनाल एसीबी की टीम ने अप्रैल माह में बिचौलिये पूनम चोपड़ा को गिरफ्तार किया था। जिस दिन शिकायतकर्ता पूनम चोपड़ा को बकाया तीन लाख रुपये देने आया तो उस दिन भी उसने शिकायतकर्ता के सामने विजय दहिया से बात की।
जयवीर आर्य ने ट्रांसफर के बदले मांगी थी रिश्वत
हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के एमडी जयवीर आर्य को एसीबी ने ट्रांसफर के बदले रिश्वत मांगने के मामले में 11 अक्तूबर को गिरफ्तार किया था। इस मामले में विभाग की एक अधिकारी के पति ने एसीबी को ट्रांसफर करने के नाम पर 5 लाख रुपये रिश्वत मांगने की शिकायत दी थी। इसके बाद एसीबी ने ट्रैप लगाकर आईएएस जयवीर आर्य और बिचौलिये को गिरफ्तार किया था। वहीं मामले में दो अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। आर्य को एक दिन की रिमांड के बाद 13 अक्तूबर को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

सरकार ने धर्मेंद्र को बहाल करने से किया मना
सोनीपत नगर निगम के एक घोटाले में महीनों पहले गिरफ्तार हुए पूर्व निगम कमिश्नर एवं आईएएस धर्मेंद्र सिंह की बहाली पर संकट के बादल बरकरार हैं। सूत्रों की मानें तो सरकार ने धर्मेंद्र को बहाल करने से मना कर दिया है। धर्मेंद्र प्रदेश के एक पूर्व मंत्री के नजदीकी रिश्तेदार हैं। हालांकि इस घोटाले में धर्मेंद्र को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, लेकिन सरकार अभी उनको बहाल करने के मूड में नहीं है।