➤अमेरिका-हरियाणा समझौते पर संशय के बादल
➤हिसार एयरपोर्ट परियोजना को झटका लगने की आशंका
➤वैकल्पिक सहयोगी देश की तलाश में हरियाणा सरकार
भारत और अमेरिका के बीच हाल के दिनों में बढ़ते कूटनीतिक तनाव का असर अब राज्यों पर भी दिखाई देने लगा है। हरियाणा में प्रस्तावित हिसार इंटीग्रेटेड एविएशन हब (IAH) और एयरपोर्ट परियोजना पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। दिसंबर 2024 में हरियाणा सरकार और अमेरिकी व्यापार एवं विकास एजेंसी (USTDA) के बीच जो समझौता हुआ था, उसमें अब अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं।
इस समझौते के तहत अमेरिका की ओर से 10.53 करोड़ रुपए (करीब 1.25 मिलियन डॉलर) का तकनीकी और आर्थिक निवेश किया जाना था। इसका मकसद हिसार एयरपोर्ट की कारगो क्षमता बढ़ाना और एकीकृत एविएशन हब को तकनीकी सहायता देना था। यह समझौता अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की दिल्ली में हुई बैठक के बाद तय हुआ था।
इससे पहले जुलाई 2024 में न्यूयॉर्क में हुए अमेरिका-भारत विमानन शिखर सम्मेलन के दौरान यूएसटीडीए के निदेशक एनोह टी एबोंग ने अनुदान निधि की घोषणा की थी। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच MoU पर हस्ताक्षर भी हुए और परियोजना को लेकर उत्साह देखा गया। अमेरिकी निवेश से उम्मीद थी कि हिसार एयरपोर्ट को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का एविएशन और लॉजिस्टिक्स हब बनाया जाएगा।
लेकिन अब भारत और अमेरिका के बीच उपजे हालातों को देखते हुए आशंका है कि यूएसटीडीए इस परियोजना से पीछे हट सकती है या फिर इसमें लंबी देरी हो सकती है। इससे हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को बड़ा झटका लग सकता है।
हालांकि हरियाणा सरकार ने विकल्पों पर काम शुरू कर दिया है। संभावना है कि अन्य मित्र देशों से तकनीकी और वित्तीय सहयोग लेने की दिशा में केंद्र सरकार की मदद से प्रयास किए जाएं। हिसार में एयरपोर्ट के साथ-साथ एक इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर भी विकसित किया जा रहा है, जिसके लिए 2988 एकड़ भूमि चिह्नित की गई है।
इस क्लस्टर में विभिन्न कंपनियों के निवेश से प्रदेश में बड़े पैमाने पर औद्योगिक गतिविधियां शुरू होंगी और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बनेंगे। सरकार का अनुमान है कि इस क्लस्टर से एक लाख से ज्यादा रोजगार सृजित होंगे।
इसके साथ ही, हिसार एयरपोर्ट पर एक ड्राई पोर्ट भी विकसित किया जा रहा है, जिससे लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। कंटेनरों और ट्रकों के जरिए सामान का बड़े पैमाने पर आवागमन होगा। इस कार्य में दिल्ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर (DFC) के निकटवर्ती स्टेशन जैसे अंबाला, रेवाड़ी, कापसहेड़ा और नांगल चौधरी सहायक सिद्ध होंगे।
फिलहाल हरियाणा सरकार अमेरिका के स्थान पर अन्य विकल्पों की तलाश कर रही है और इस परियोजना को किसी भी सूरत में पटरी पर लाने की रणनीति पर काम कर रही है।