जीवन में चमत्कार ला सकता है साक्षात भगवान शिव स्वरूप एक मुखी रुद्राक्ष

धर्म पानीपत हरियाणा

कामयाबी के लिए मनुष्य जीवन में न जाने कितने जतन करता है। ऐसे में अगर मनुष्य जीवन में यदि मेहनत के साथ किस्मत और आशीर्वाद का संगम हो जाए तो कामयाबी की मंजिल अपने आप मिल जाती है। वहीं सफलता के लिए प्रयास भी जरूरी हैं। साक्षात भगवान शिव स्वरूप एक मुखी रूद्राक्ष हमारे जीवन के लिए काफी फायदेमंद साबित होने के साथ चमत्कार भी ला सकता है।

वरिष्ठ ज्योषिताचार्य पंडित दाउजी महाराज के अनुसार पुराणों में रूद्राक्ष को देवों के देव भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। पौराणिक कथा के अनुसार रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रु हुई है। मान्यता है कि रूद्राक्ष पहनने से इंसान की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। जो मनुष्य इसे धारण कर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करता है, उसे जीवन में अनंत सुखों की प्राप्ति होती है। जिस घर में एक मुखी रूद्राक्ष होता है, वहां लक्ष्मी विशेष रूप से विराजती है। साथ ही धारणकर्ता को सभी प्रकार के नुकसान और भय से मुक्ति मिलती है। एक मुखी रूद्राक्ष सर्वोत्तम, सर्वमनोकामना सिद्धि, फलदायक और मोक्षदाता भी है। एक मुखी रूद्राक्ष के कुछ अलग-अलग महत्व भी हैं।

जानिए एक मुखी रूद्राक्ष धारण करने से क्या मिल सकते हैं फायदे

-एक मुखी रुद्राक्ष मनुष्य को बुरी नजर से बचाता है और बुरी चीजों से छुटकारा दिलाने में सहायक है।

-बुरे विचारों, प्रभाव, दबाव व तनाव को कम करने में मदद करता है, भूत-प्रेत के डर निजात दिलाने में सहायक है।

-लक्ष्यों को हासिल करने में मनुष्य की मदद करता है और रास्ते में आने वाली रूकावटों को भी दूर करता हैं।

-आर्थिक स्थिति में सुधार करने के साथ कर्ज उतारने और ऋण संबंधी परेशानियों को दूर करने में काफी लाभप्रद है।

-मनुष्य को सही और गलत के बारे में सचेत बनाने तथा परिवार के लिए सही फैसला लेने में मददगार है।

-एक मुखी रुद्राक्ष शारीरिक कष्टों को दूर करने सहित माइग्रेन, तनाव और चिंता संबंधी परेशानियों को भी दूर करने में सहायक है। इससे आंखों की रोशनी, हृदय संबंधी परेशानियों में भी मनुष्य को राहत मिलती है।

एक मुखी रूद्राक्ष में जीवन में मिल पाना दुर्लभ

सावन माह महीना 31 अगस्त 2023 को समाप्त हो रहा है। कहा जाता है कि सावन के महीने में यदि एक मुखी रूद्राक्ष को धारण कर लिया जाए तो मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। बता दें कि वैसे तो एक मुखी रूद्राक्ष दुनिया में सबसे कम मिलने वाला है। अगर यह मिल जाए तो इसकी कीमत भी ज्यादा होती हैं। आमतौर पर बाजार में मिलने वाले एक मुखी रूद्राक्ष असली नहीं होते। जिसकी पहचान करना भी जरूरी है। यदि आपने सावन के महीने में मुश्किल से मिलने वाले इस एक मुखी रुद्राक्ष को धारण कर लिया तो समझ लीजिए कि आपकी आधी से ज्यादा परेशानियां धीरे-धीरे दूर हो जाएंगी। आमतौर पर रूद्राक्ष 11 प्रकार के होते हैं। जिनके अलग-अलग महत्व हैं।

जानिए रूद्राक्ष के प्रत्येक मुख का महत्व

एकमुखी रूद्राक्ष : इसे को साक्षात भगवान शिव का स्वरूप कहा गया है, इसलिए इसे दुर्लभ रूद्राक्ष माना गया है। जिसे धारण कर मनुष्य के जीवन में सुख-समृदि्ध के साथ यश की प्राप्ति होती है। मनुष्य जीवन धन धान्य से परिपूर्ण होता है। सिंह राशि वालों के लिए एक मुखी रूद्राक्ष शुभ माना गया है।

दो मुखी रुद्राक्ष : इस रूद्राक्ष को शिव-शिक्त रूवरूपा माना गया है। दो मुखी रूद्राक्ष धारण करने से मनुष्य जीवन में आत्मविश्वास के साथ मन की शांति का वास होता है। मनुष्य जीवन के पाप-कष्ट दूर हो जाते हैं। यह रूद्राक्ष कर्क राशि वालों के लिए उत्तम परिणाम देने वाला माना गया है।

तीन मुखी रूद्राक्ष : यह रूद्राक्ष सुख-शांति, खुशहाली के साथ सुख-संपत्ति, यश और सौभाग्य का लाभ देने वाला है। जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के गुणों की शक्तियों का वास होता है। तीन मुखी रूद्राक्ष को मेष और वृश्चिक राशि वालों के लिए शुभ माना गया है।
चार मुखी रुद्राक्ष : यह रूद्राक्ष मनुष्य के जीवन का उद्देश्य पूर्ण करने के साथ काम और मोक्ष प्रदान करने वाला है। जिसे ब्रह्मा स्वरूप भी माना जाता है। इसे धारण करने से त्वचा संबंधी रोगों, मानसिक क्षमता, रचनात्मकता और एकाग्रता में विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। मिथुन और कन्या राशि के लोग इसे धारण कर सकते हैं।

पंडित, विद्वान या ज्योतिषाचार्य का परामर्श आवश्यक

कई बार मनुष्य जीवन में अपने फायदे के लिए बिना सोचे समझे किसी भी चीज को धारण कर लेता है, लेकिन जीवन में किसी चीज को धारण करने के नियम और तौर तरीके जरूरी हैं। यह सभी जानकारी वैदिक ज्योतिष शास्त्री पर आधारित हैं। ऐसे में किसी भी रूद्राक्ष को धारण करने से पहले पंडित या विद्वान से परामर्श जरूरी है। ऐसे में शुभ और अशुभ दोनों फल मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जीवन में बिना परामर्श और सिद्धी के किसी चीज को धारण नहीं करना चाहिए। साथ ही तौर तरीके और सलाह के बाद ही किसी चीज को धारण करना शुभ फलदायी माना गया है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य का परामर्श आवश्यक माना गया है।