ओमान में आयोजित पांचवी एशिया कप भारत ने पाकिस्तान से जीत हासिल कर देश का नाम रोशन किया। मुकाबले में हाबड़ी के सुखविंद्र ने भारतीय टीम में रक्षात्मक पंक्ति में खेलते हुए बेहतर प्रदर्शन किया।
भारत की जीत पर कैथल के हाबड़ी गांव में जीत का जमकर जश्न मनाया गया। हाबड़ी गांव के खिलाड़ी सुखविंद्र के घर बधाई देने वालों की लाइन लग गयी। घर वाले और गांव वालो ने मिठाई बांटकर खुशी का अनुभव किया।
पाकिस्तान को हरा किया एशिया कप हॉकी पर कब्जा
कोच गुरबाज ने बताया की 29 अगस्त से दो सितंबर तक चले मुकाबले में भारतीय टीम सहित मलेशिया, पाकिस्तान, जापान, ओमान, बांग्लादेश, हांगकांग चाइना, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान व ईरान की टीमों ने भाग लिया। मुकाबले के लीग मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत ने सेमीफाइनल में मलेशिया और फिर फाइनल में पाकिस्तान को हराकर एशिया कप हॉकी को अपने नाम किया।
हाबड़ी गांव का नाम किया रोशन-कोच
सुखविंद्र के कोच गुरबाज सिंह का कहना है कि भारत की टीम ने फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान को हराकर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया है। भारतीय टीम और विशेष रूप से कैथल के खिलाड़ी सुखविंद्र पर हम सभी को गर्व है। इससे देश-विदेश में हाबड़ी गांव का नाम रोशन हुआ है। साथ ही सभी खेल प्रेमियों में खुशी की लहर है।
06-04 से की जीत हासिल
भारतीय समय अनुसार, शनिवार रात को हुए फाइनल मुकाबले में भारत और पाकिस्तान का मुकाबला रोमांचक रहा। स्कोर 04-04 से बराबरी के बाद दोनों टीमों की धड़कनें बढ़ गई थी। बाद में शॉट आउट के माध्यम से 06-04 अंक लेकर भारतीय टीम विजयी रही। मुकाबले में हाबड़ी के सुखविंद्र ने भारतीय टीम में रक्षात्मक पंक्ति में खेलते हुए बेहतर प्रदर्शन किया।
मजदूर के बेटे ने कर दिखाया कमाल
आर्थिक तंगी और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कैथल के हाबड़ी गांव निवासी हॉकी खिलाड़ी सुखविंद्र ने कड़ी मेहनत से मुकाम हासिल किया और अपनी पहचान बनाई। विदित हो कि सुखविंद्र चार भाई-बहनों में सबसे छोटा है और पिता मेहनत मजदूरी कर परिवार का लालन-पालन करते हैं।
परिवार के सपने को पूरा करने का प्रयास कर रहे सुखविंद्र
खिलाड़ी सुखविंद्र ने बताया कि वह चार भाई-बहनों में सबसे छोटा हैं। उसके पिता देवीलाल मजदूरी कर अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे हैं। उनकी माता कमला देवी का वर्ष 2019 में सड़क हादसे में निधन हो गया था। उसके एक साल बाद पिता को करंट लग गया, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी उसने हॉकी को नहीं छोड़ा और कड़ी मेहनत तथा अभ्यास से खुद को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों के लिए तैयार किया। उसका कहना है कि अब वह अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।
10 साल से खेल रहा हॉकी
12वीं कक्षा के छात्र सुखविंदर ने कहा कि उन्होंने हॉकी खेल की शुरुआत वर्ष 2016 में की थी। वह तब से लगातार गांव में बने हॉकी ग्राउंड पर कड़ा अभ्यास करते रहे हैं। इससे पहले भी वे सब जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में रजत पदक जीत चुके हैं। इसके अलावा वह चार बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक हासिल कर चुके हैं।