कैथल के चीका की अनाज मंडी में किसानों की छह महीने की मेहनत धान की फसल मंडी में खुले आसमान के नीचे भीग गई। बेमौसमी वर्षा किसानों की धान की फसल के लिए कहर बन कर आई है। वर्षा से खेतों में पककर तैयार खड़ी धान की फसल हवा के कारण खेतों में खड़े वर्षा के पानी में बिछ जाने से भारी नुकसान हुआ है। किसानों की बाबैन मंडी में बिकने के लिए आई सैकड़ों क्विंटल धान भी वर्षा की भेंट चढ़ गई है। बारिश के कारण जगह-जगह जलभराव हो गया है और लोगों को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
बाबैन अनाज मंडी में आए किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के प्रदेश उपाध्यक्ष चमकौर सिंह बनेड़ा जिला उपाध्यक्ष केवल सिंह सदरहेडी आईटी सेल प्रभारी जरनैल सिंह जैली एक तरफ तो किसानों को बारिश की मार पड़ रही, वहीं दूसरी तरफ धान की सरकारी खरीद अभी फिलहाल शुरू नहीं हुई है। जिसकी वजह से अनाज मंडी में धान खुले आसमान के नीचे पड़ी है। बारिश को लेकर अनाज मंडी प्रशासन की तरफ से भी कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किए गए हैं। किसानों ने सरकार से जल्द से जल्द धान की सरकारी खरीद शुरू करने की मांग की और कहा कि उनकी खराब हुई फसल का मुआवजा भी दिया जाए।
चीका की मंडियों में 50 हजार क्विंटल के आसपास धान की आवक हो चुकी है। धान की सरकारी खरीद का अभी कोई शेड्यूल जारी नहीं किया है। जब भी धान की खरीद के आदेश होंगे उसी दिन से खरीद का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। शुक्रवार को हुई बरसात के चलते आज मंडी में धान की आवक बहुत कम थी, जिसके चलते नुकसान न के बराबर है। अधिकतर धान शेड के नीचे ही डाला गया था। – नरेंद्र ढूल, सचिव मार्केट कमेटी, चीका।
70 फीसदी फसलें हुई बाढ़ से प्रभावित
जिलाभर में 15 जून के बाद धान की रोपाई शुरू हो गई थी। जुलाई माह के पहले सप्ताह में तेज वर्षा होने और बाढ़ की चपेट में आने से गुहला क्षेत्र की 70 फीसदी के करीब फसलें प्रभावित हुई थी। हजारों एकड़ में किसानों को दोबारा धान की रोपाई करनी पड़ी थी, इसके साथ ही जो धान बच गया था, उसके लिए ज्यादा खर्च करने पर कड़ी जद्दोजहद के बाद बचाया गया था। अब बाढ़ की चपेट में आने से बची धान की फसल पककर तैयार है।
किसान इसी फसल को लेकर अनाज मंडियों में लेकर पहुंच रहे हैं। शनिवार दोपहर हुई तेज वर्षा ने इसी पककर तैयार खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाया है। इस वर्षा से शहरों में सड़कें पानी से लबालब हो गई हैं तो खेतों में खड़ी फसलें भी बिछ गई हैं। इतना ही नहीं अनाज मंडियों में धान के भीगने पर इसके दाम में भी कमी आ सकती है।