हरियाणा के Karnal जिले के नरूखेड़ी गांव के रहने वाले पंकज नरवाल (35) की अमेरिका में इलाज के दौरान मौत हो गई। पंकज दो साल पहले डंकी रूट से अमेरिका गया था और वहां कड़ी मेहनत कर ट्रक ड्राइवर के तौर पर काम कर रहा था। अचानक तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती हुआ, जहां कैंसर की अंतिम स्टेज का पता चलने के तीन दिन बाद ही उसकी मौत हो गई।
अब आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के पास शव भारत लाने तक के पैसे नहीं हैं। परिजनों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
डेढ़ एकड़ जमीन बेचकर अमेरिका गया था
परिवार के मुताबिक, पंकज दो साल पहले 40 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका गया था। यह पैसा परिवार ने जमीन बेचकर और कर्ज लेकर जुटाया था। अमेरिका में शुरुआत में उसने एक स्टोर में काम किया और बाद में ट्रक चलाने लगा। कमाई शुरू हुई ही थी कि स्वास्थ्य खराब होने लगा।
कम्युनिटी रीजनल मेडिकल सेंटर में हुआ निधन
पंकज को दो महीने पहले पेट में तेज दर्द हुआ, जिसके बाद उसे कैलिफोर्निया के फ्रिस्को शहर में कम्युनिटी रीजनल मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया। जांच के दौरान पता चला कि वह कैंसर की अंतिम अवस्था में है। इलाज के बावजूद 25 अप्रैल को उसकी मौत हो गई।
जो कमाया, इलाज में चला गया
पंकज के छोटे भाई रंकज नरवाल ने बताया कि पंकज ने अमेरिका में जो भी कमाया, वह सब इलाज पर खर्च हो गया। परिजनों के अनुसार, अस्पताल के खर्चे के अलावा, शव भारत लाने में भी लाखों रुपए का खर्च आएगा, जो वहन कर पाना संभव नहीं है।
बच्चों का भविष्य अंधकारमय
पंकज अपने पीछे मां, पत्नी और तीन छोटे बच्चों को छोड़ गया है। उसकी बड़ी बेटी तन्नू (7वीं कक्षा), छोटी बेटी मनवी (चौथी कक्षा) और बेटा अयान (दूसरी कक्षा) में पढ़ते हैं। पंकज ही पूरे परिवार का एकमात्र सहारा था।
सरकार से शव लाने की अपील
परिजनों ने केंद्र और राज्य सरकार से मानवता के आधार पर आर्थिक सहायता की मांग की है, ताकि पंकज के शव को भारत लाकर उसके गांव में अंतिम संस्कार किया जा सके। उन्होंने कहा कि बच्चे कम से कम अपने पिता के अंतिम दर्शन तो कर सकें।