संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर देशभर में किसानों ने अपने अधिकारों की आवाज बुलंद की। समालखा में नई अनाज मंडी से रेलवे स्टेशन तक किसान मजदूर परेड का आयोजन हुआ, जिसमें किसानों, मजदूरों और सामाजिक संगठनों के हजारों कार्यकर्ता शामिल हुए। वहीं, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, और राजस्थान समेत कई राज्यों में किसानों ने ट्रैक्टर रैलियां निकालीं।
जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन आज 62वें दिन भी दातासिंहवाला-खनौरी मोर्चे पर जारी रहा। किसानों ने उनके समर्थन में देशभर में विरोध प्रदर्शन किए। मध्यप्रदेश के अशोकनगर में किसानों ने डल्लेवाल जी के समर्थन में हजारों बाइकों की रैली निकालने की योजना बनाई थी। हालांकि, पुलिस ने सुबह से ही किसान नेताओं को नजरबंद कर दिया।
संयुक्त किसान मोर्चा की मुख्य मांगें
किसान नेताओं ने राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति फ्रेमवर्क (NPFAM) को तीन काले कृषि कानूनों का नया संस्करण बताते हुए इसे पूरी तरह खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह नीति बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कॉरपोरेट्स को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी मंडियों का निजीकरण करना चाहती है। इसमें किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), सरकारी खरीद, और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का कोई प्रावधान नहीं है।
आगामी आंदोलन और महापंचायतें
संयुक्त किसान मोर्चा ने 11 फरवरी को रत्नपुरा, 12 फरवरी को दातासिंहवाला-खनौरी, और 13 फरवरी को शंभू मोर्चे पर बड़ी किसान महापंचायतों का आयोजन करने की घोषणा की। इसके अलावा, 5 मार्च 2025 से राज्यों की राजधानियों और जिलों में पक्के मोर्चे स्थापित किए जाएंगे। SKM ने राज्य विधानसभाओं से NPFAM को खारिज करने की मांग की और कहा कि इस नीति के खिलाफ जनजागरण जारी रहेगा।
कार्यक्रम में शामिल नेता
समालखा में आयोजित परेड में अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राज्य संयुक्त सचिव राजेंद्र, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला उपाध्यक्ष प्रितम रावल, तहसील अध्यक्ष कंवर सिंह, बापौली ब्लॉक सचिव ओमपाल, और अन्य संगठनों के नेता शामिल हुए। कार्यक्रम में किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा लागू चार श्रम संहिताओं को रद्द करने और किसानों-मजदूरों के संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया।
संयुक्त किसान मोर्चा की घोषणा
8 और 9 फरवरी 2025 को किसानों द्वारा सांसदों के कार्यालयों के सामने जनप्रतिनिधिमंडलों का आयोजन किया जाएगा। नेताओं ने सांसदों से अपील की है कि वे किसानों के समर्थन में खड़े हों और उनकी मांगों को संसद में उठाएं। संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक किसानों और मजदूरों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।