केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने Kurukshetra स्थित गुरुकुल का दौरा किया, जहां उन्होंने गुरुकुल के प्राकृतिक खेती मॉडल का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने खेतों में जाकर प्राकृतिक खेती को व्यावहारिक रूप में देखा और मीडिया से बातचीत करते हुए इसके लाभों पर जोर दिया।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की अपील
शिवराज चौहान ने कहा कि गुरुकुल में जो प्राकृतिक खेती हो रही है, वह सच्चाई में प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल है। उन्होंने केमिकल फ़र्टिलाइज़र के अत्यधिक उपयोग से होने वाली समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि इससे धरती की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है और कीटनाशकों से मित्र कीट मारे जा रहे हैं, जिससे सब्जियों में रोग उत्पन्न हो रहे हैं। उन्होंने आगाह किया कि अगर यह स्थिति बदली नहीं तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।
“प्राकृतिक खेती से उत्पादन घटता नहीं है”
शिवराज चौहान ने प्राकृतिक खेती के बारे में कहा कि यह तरीका उत्पादन में कोई कमी नहीं करता, बशर्ते इसे सही तरीके से किया जाए। उन्होंने बताया कि गुरुकुल में गन्ने के साथ सरसों, चने के साथ गेहूं और अन्य फसलें इंटर क्रॉपिंग के तहत प्राकृतिक तरीके से उगाई जा रही हैं। विशेष रूप से गाजर, चुकंदर और ड्रैगन फ्रूट के मॉडल को देखने की सिफारिश की।
किसानों को ट्रेनिंग की अहमियत
उन्होंने कहा कि सही तरीके से प्राकृतिक खेती करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है। यदि किसानों को प्रशिक्षण दिया जाए तो उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार होगा, साथ ही धरती भी संरक्षित रहेगी। उन्होंने उदाहरण दिया कि प्राकृतिक खेती में केंचुए देखने को मिलते हैं, जो मिट्टी को नरम करते हैं, जबकि रासायनिक खेती में केंचुए नहीं होते और मिट्टी कठोर हो जाती है।
गुजरात के राज्यपाल द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
केंद्रीय मंत्री ने गुजरात के राज्यपाल देवव्रत आर्य की भी सराहना की, जो प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने उन्हें “ऋषि” कहकर संबोधित किया और कहा कि यह कदम किसानों के लिए लाभकारी होगा।
किसान संगठनों से बातचीत का आश्वासन
कृषि मंत्री ने किसानों के साथ आगामी बैठक के बारे में बात करते हुए कहा कि वे इस बार भी किसान संगठनों से अच्छे वातावरण में संवाद करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें समय पर बैठक में पहुंचना है और किसान नेताओं के साथ सद्भावपूर्ण चर्चा करेंगे।