इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में महिला आरक्षण पर पारित किए गए बिल का स्वागत करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व होना बेहद जरूरी है।
आज शिक्षा, बैंकिंग, उद्योग और स्पेस से लेकर हर फील्ड में महिलाएं पुरुषों को टक्कर दे रही हैं और कामयाबी के झंडे गाड रही हैं, लेकिन केंद्र की सरकार ने एक बार फिर से महिला आरक्षण बिल के नाम पर लोगों को भ्रमित करने के लिए जुमला फेंका है। यह वादा भाजपा के चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल था, अगर भाजपा सरकार की महिला आरक्षण देने के मामले में नीयत साफ होती तो दस साल से सत्ता में है और 2021 में जनगणना करवा कर परिसीमन करवाती। फिर भी 2021 में की जाने वाली जनगणना नहीं करवाई गई। जनगणना न होने के कारण परिसीमन भी लटका हुआ है। बगैर परिसीमन के आने वाले 2024 के चुनावों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित नहीं की जा सकती।
आरक्षण बिल में ओबीसी वर्ग को भी रखना चाहिए था
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल में ओबीसी कैटेगरी की भी अनदेखी कर ओबीसी समाज के साथ कुठाराघात किया है। जिसके कारण ओबीसी वर्ग की महिलाओं को भी इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। जब भाजपा सरकार निकाय चुनावों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण दे सकती है, तो इस महिला आरक्षण बिल में भी ओबीसी वर्ग को रखना चाहिए था।
2029 से पहले बिल का नहीं मिल सकता कोई लाभ
इनेलो नेता ने कहा कि सच्चाई यह है कि आंकड़ों के अनुसार 2029 से पहले किसी भी चुनावों में महिलाओं को इस बिल का कोई लाभ नहीं मिल सकता। अगर केंद्र की भाजपा सरकार 2021 में जनगणना करवा कर परिसीमन करवा देती तो 2024 के चुनावों में ही महिलाओं को आरक्षण मिल सकता था और बिल के पास होते ही तुरंत लागू करती।