जादू के जरिये समाज सेवा कर रहे हैं सम्राट शंकर 1

जादू के जरिये समाज सेवा कर रहे हैं सम्राट शंकर

हरियाणा देश

जादूगर सम्राट शंकर ने किए 30,000 से अधिक शो, जिनमें से 20,000 से अधिक चैरिटी और सामाजिक उद्देश्य से किए गए
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम, और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उन्हें मिला विशेष सम्मान
जादू को वैज्ञानिक आधार पर समाज में जागरूकता फैलाने का माध्यम बनाया, अंधविश्वास के खिलाफ चलाई मुहिम

Indian Magician With Guinness Record: जादू की दुनिया में भारत का नाम रौशन करने वाले सम्राट शंकर, आज केवल एक मनोरंजनकर्ता नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक के रूप में भी पहचाने जाते हैं। उन्होंने अब तक 30,000 से अधिक जादू शो किए हैं, जिनमें से 20,000 से अधिक शो उन्होंने चैरिटी और सामाजिक जागरूकता के लिए किए। उनके इसी असाधारण योगदान के लिए उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है, और उन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाज़ा गया है।


भारतीय जादू कला को अंतरराष्ट्रीय रंगमंच पर एक नई पहचान दिलाने वाले महान जादूगर सम्राट शंकर की जादुई यात्रा लगभग 5 दशक से भी अधिक समय से निरंतर जारी है। हरियाणा के सिरसा जिले के ऐलनाबाद में सन् 1950 में जन्मे शंकर का पालन-पोषण राजस्थान के श्री गंगानगर जिले के श्रीकरणपुर में हुआ। वे एक धार्मिक अग्रवाल परिवार में जन्मे और बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी रहे।

केवल 12 वर्ष की उम्र में बंगाल के प्रसिद्ध जादूगर देवकुमार के एक शो ने उनके बाल मन पर गहरी छाप छोड़ी और उसी दिन से उन्होंने जादूगर बनने का स्वप्न संजो लिया। शंकर ने शैक्षणिक अध्ययन के साथ-साथ जादू की साधना भी जारी रखी और धीरे-धीरे मंचीय प्रस्तुतियों में निपुणता हासिल की।

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अपने आत्मविश्वास और कला निपुणता को नया आयाम देने के लिए उन्होंने जादू जगत के प्रतिष्ठित नाम श्री बी. एन. सरकार को अपना गुरु बनाया। गुरु से मिली सीख और अपनी मेहनत व लगन के बल पर उन्होंने 1974 में श्रीकरणपुर में अपना पहला जादू शो प्रस्तुत किया और फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।

सम्राट शंकर के नाम पर आज जादू को एक वैज्ञानिक और मनोरंजक कला के रूप में देखा जाता है। उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों में केवल चमत्कार नहीं दिखाए, बल्कि लोगों को अंधविश्वास से बाहर लाने का सामाजिक कार्य भी किया। उनके शो आज भी भारत और विदेशों में गहरे प्रभाव के साथ मंचित होते हैं।

दुनिया भर में फैले लाखों प्रशंसकों के बीच, जादू और शंकर अब एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। उनकी मेहनत, अनुशासन और रचनात्मकता ने जादू को कला का ऐसा मंच बना दिया है, जहां से समाज को नई दृष्टि मिलती है।

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उनके शो की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे अंधविश्वास को चुनौती देते हैं और लोगों को वैज्ञानिक सोच की ओर प्रोत्साहित करते हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि “जादू तंत्र-मंत्र नहीं, बल्कि विज्ञान आधारित कला है।” उन्होंने हमेशा तर्क, तकनीक और प्रदर्शन के ज़रिए समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वास के खिलाफ आवाज़ उठाई।

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उनके कुछ मशहूर जादू प्रदर्शनों में शामिल हैं:

  • अमेरिका के लाइव टीवी जैसा प्रदर्शन
  • स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का गायब होना
  • चलती पंखी के बीच से इंसान का गुजरना
  • आरी मशीन से व्यक्ति के दो टुकड़े
  • इच्छाधारी नागिन की कहानी
  • हवा में तैरता बॉक्स, जिससे लड़की प्रकट होती है
  • जलती आग में से लड़की का निकलना
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जादू के जरिये समाज सेवा कर रहे हैं सम्राट शंकरमिस्र की प्रेम कथा और जापान के भूतों का प्रदर्शन

समाज सेवा की दृष्टि से, सम्राट शंकर का कार्य बेहद प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने शो का उपयोग गांव-गांव, शहर-शहर में जाकर यह समझाने में किया कि लोग तंत्र-मंत्र से भ्रमित न हों, बल्कि सोच-विज्ञान को अपनाएं।

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इस योगदान के लिए उन्हें “समाजसेवी जादूगर” की उपाधि भी दी गई। अनेक राज्य सरकारों, सांस्कृतिक संगठनों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने उन्हें सम्मान पत्र, ट्रॉफी, पदक और विशेष उपाधियाँ प्रदान की हैं।