केंद्र सरकार ने किसान नेता गुरनाम सिंह डल्लेवाल को बातचीत के लिए न्यौता भेजा है, जिसके बाद खनौरी इलाके में हलचल मच गई है। किसान नेताओं ने इस मौके पर एक बड़ी अपील की है, जिसमें उन्होंने किसानों से एकजुट होने की अपील की है और इस मुद्दे पर सरकार से सकारात्मक बातचीत की उम्मीद जताई है।
यह बातचीत सरकार और किसान नेताओं के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। किसान नेताओं का कहना है कि बातचीत के जरिए उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन आज 54वें दिन में प्रवेश कर चुका है। शुक्रवार रात डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ गई, जब उन्हें 3-4 बार उल्टियां आईं और उनकी पानी पीने की मात्रा भी घटकर 1 लीटर से कम रह गई, जबकि पहले वे 2 लीटर पानी पी रहे थे। उनकी हालत अब ज्यादा नाजुक हो गई है।

सरकार से संवाद
शनिवार को केंद्र सरकार का प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय कृषि मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी प्रिया रंजन की अगुआई में खनौरी बॉर्डर पर पहुंचा। इस दौरान, उन्होंने डल्लेवाल से मुलाकात की और उन्हें 14 फरवरी को चंडीगढ़ में आयोजित होने वाली वार्ता में शामिल होने का निमंत्रण दिया। प्रतिनिधिमंडल ने किसान नेताओं को यह आश्वासन दिया कि सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से देख रही है और समाधान के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
भूख हड़ताल पर नई बातें
सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय अधिकारियों ने डल्लेवाल से उनकी भूख हड़ताल समाप्त करने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। इसके बावजूद, यह चर्चा में है कि डल्लेवाल अब मेडिकल सुविधा लेने पर विचार कर सकते हैं, हालांकि इस संबंध में किसी भी किसान नेता ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर का 21 जनवरी को दिल्ली कूच का ऐलान
गुरुवार को किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने शंभू बॉर्डर पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 21 जनवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया। पंधेर ने कहा कि इस प्रदर्शन में 101 किसान शामिल होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार द्वारा अब तक वार्ता की कोई पहल नहीं की गई है, जिस कारण किसान आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
पीएम मोदी को चेतावनी:
पंधेर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी दी कि उनके प्रधानमंत्री रहते हुए देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल खरीद की गारंटी देने वाला कानून लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों की सभी मांगें देश के हित में हैं और इन्हें जल्द से जल्द लागू कराया जाएगा।
यह आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों की निरंतर बढ़ती नाखुशी को दर्शाता है, और किसान नेता अपनी मांगों को लेकर और ज्यादा दृढ़ नजर आ रहे हैं।