Haryana News : हरियाणा के महेंद्रगढ़ में स्कूली बस हादसे के बाद बिना परमिट और फिटनेस प्रमाण-पत्र के चलने वाली निजी स्कूलों की बसों के खिलाफ कार्रवाई से हड़कंप का दौर जारी है। नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (एनआईएसए) ने अपने सदस्यों से सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करने और उन्हें मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने की योजना बनाने का आह्वान किया है। वहीं स्कूल संचालकों का कहना है कि वह बसों की जांच को लेकर नाराज नहीं हैं, लेकिन स्थिति से उनकी परेशानी बढ़ गई है। उनका कहना है कि चालान करने से मामला हल होने वाला नहीं है।
गौरतलब है कि करनाल, असंध और निसिंग में आरटीए की टीम ने रविवार को 211 निजी बसों की जांच की। बताया जा रहा है कि इस दौरान निजी स्कूलों की बसें मानकों पर खरी नहीं उतर पाई। इस दौरान करीब 211 बसें तीनों जगहों पर पहुंचीं। इनमें से 36 बसें अनफिट पाई गई। किसी बस में फर्स्ट एड किट नहीं थी तो किसी में एक्सपायरी डेट की दवा पाई गई। किसी में फायर सिलिंडर तक नहीं थे। किसी में एक्सपायरी डेट के सिलिंडर पाए गए। कुछ बसों में सीसीटीवी नहीं थे तो किसी में कैमरे नहीं चल रहे थे। वहीं अधिकारियों ने इन सभी 36 निजी बसों का चालान किया। इनमें करनाल में 86 बसों में से 4 अनफिट पाई गई। निसिंग में 86 बसों में से 15 और असंध में 39 बसों में से 17 बसें अनफिट पाई मिली। इससे साफ है कि आरटीए की टीम बसों की पासिंग के दौरान खानापूर्ति करती हैं।
उधर सरकार के फैसले के बाद क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) का अनफिट स्कूल बसों के खिलाफ अभियान जारी है। जिला रेवाड़ी के 70 से अधिक मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की लगभग 550 बसों की पहचान की गई है, जिनके फिटनेस प्रमाण पत्र या परमिट का नवीनीकरण नहीं किया गया है। प्रशासन ने ऐसी 345 बसों को तत्काल प्रभाव से जब्त करने का आदेश दिया है, जबकि संबंधित अधिकारियों को ऐसे स्कूलों के मालिकों को नोटिस देने का निर्देश दिया गया है।
वहीं एनआईएसए के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा का कहना है कि सरकार चालान जारी कर रही है, लेकिन यह एक अल्पकालिक समाधान है। स्कूलों पर लगाए जा रहे जुर्माने से अंततः छात्रों के माता-पिता पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। हालांकि सुरक्षित स्कूल वाहन नीति मौजूद है। हमने भविष्य में ऐसी किसी भी घटना से बचने के लिए एक एसओपी तैयार करने और सदस्यों से इसका पालन करने के लिए कहने का फैसला किया है। स्कूलों को समर्पित परिवहन प्रबंधक नियुक्त करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाएगा कि बसें सर्वोत्तम स्थिति में होनी चाहिए। ड्राइवर और कंडक्टर अपनी नौकरी के लिए उपयुक्त हों।
एनआईएसए का कहना है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि निजी स्कूलों की बसों को राजनीतिक रैलियों के लिए नहीं भेजा जाएगा। नियमानुसार स्कूल बसें अपने रूट से आगे नहीं जा सकतीं, लेकिन फिर भी स्कूलों पर दबाव पड़ता हैं। इससे बसें खराब होकर लौटती हैं। सरकार को दुर्घटनाओं से बचने के लिए गड्ढा मुक्त और आवारा पशु मुक्त सड़कें भी प्रदान करनी चाहिए।
वहीं हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सुरेश चंद्र का कहना है कि दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद सरकार की ओर से ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी। हम इस कदम के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन स्थिति से घबराहट पैदा हो गई है। स्कूल भी छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। हमने ड्राइवरों और कंडक्टरों को प्रेरित करने के लिए कुछ कार्यक्रम चलाने का फैसला किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह बच्चों के साथ व्यक्तिगत रूप से जुड़ाव महसूस करें।