Haryana सरकार ने सरसों और गेहूं की सरकारी खरीद के लिए मंडियां अलॉट कर दी हैं, लेकिन अभी तक पोर्टल पर पंजीकृत फसलों का ब्योरा अपडेट नहीं हो पाया है। इसके कारण किसानों के गेट पास नहीं बन पा रहे हैं, जो कि सरकारी खरीद के लिए अनिवार्य है।
जानकारी के मुताबिक, जिन किसानों ने “मेरी फसल, मेरा ब्योरा” पोर्टल पर अपनी फसलों का पंजीकरण कराया है, उनके लिए रेवेन्यू विभाग द्वारा वेरिफिकेशन की प्रक्रिया चल रही है। वेरिफिकेशन के बाद ही फसलों का ब्योरा पोर्टल पर अपडेट किया जाता है और तब ही किसानों के गेट पास बनते हैं। गेट पास के बिना सरकारी एजेंसियां फसल की खरीद नहीं कर सकतीं।
किसान इस स्थिति से परेशान हैं, क्योंकि उन्हें अपनी फसल कम दामों पर बेचनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि सरकार भले ही हर दाना खरीदने का दावा कर रही हो, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। फसलें न बिकने के कारण किसान मार्केट कमेटी के अधिकारियों के पास जा रहे हैं।
सोमवार तक ब्योरा अपडेट का आश्वासन
प्रदेश में 9.5 लाख से ज्यादा किसानों ने अपनी फसलों का पंजीकरण किया है। मार्केट कमेटी अधिकारियों ने रेवेन्यू विभाग और प्रशासन से बातचीत के बाद आश्वासन दिया है कि सोमवार तक पोर्टल पर फसलों का ब्योरा अपडेट कर दिया जाएगा। यदि सोमवार तक पोर्टल अपडेट नहीं हुआ, तो किसानों को अपनी फसलें प्राइवेट बाजारों में बेचनी पड़ेंगी।
गेहूं खरीद के लिए 25 केंद्र बनाए गए
हिसार जिले में गेहूं की सरकारी खरीद के लिए 25 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। इनमें आदमपुर, अग्रोहा, बालसमंद, बांडाहेड़ी, बरवाला, बास, दौलतपुर, घिराय, हांसी, हसनगढ, हिसार, खांडाखेड़ी, खेड़ी जालब, कोथ कलां, लोहारी राघो, नारनौंद, पाबड़ा, पेटवाड़, सरसौद, सिसाय, थुराना, उकलाना, कैमरी, राजली और मतलौडा मंडी शामिल हैं।
150 रुपए बोनस के साथ गेहूं की एमएसपी
सरकार ने इस बार गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2425 रुपए प्रति क्विंटल तय की है, जो पिछले सीजन के 2275 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए अधिक है। इस बार सरकार 150 रुपए का बोनस भी देगी। अब यह देखना होगा कि सरकार एमएसपी के तहत फसल बिक्री की पूरी रकम एक साथ किसान के खाते में डालेगी या बोनस बाद में दिया जाएगा।