- नूंह में स्कूटी सवार नाबालिग लड़की पर बाइक सवार मनचलों ने शराब की बोतल से हमला कर किया गंभीर घायल।
- पुलिस ने 3 दिन तक FIR दर्ज नहीं की; पीड़िता को चेहरे पर 35 टांके, टूटा जबड़ा व दांत।
- मीडिया व हंगामे के बाद पुलिस हरकत में आई; कुमारी शैलजा ने सरकार पर लगाया संवेदनहीनता का आरोप।
हरियाणा के नूंह जिले में एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। रोजकामेव थाना क्षेत्र के गांव आटा–बारोटा के पास 12 जुलाई की शाम एक नाबालिग छात्रा पर दो युवकों ने बीच सड़क पर शराब की बोतल से हमला कर दिया। 17 वर्षीय दीपाली सिंह अपने पड़ोस के दो छोटे बच्चों के साथ स्कूटी पर दूध लेकर घर लौट रही थी, जब दो बाइक सवार मनचलों ने उसे छेड़छाड़ की नीयत से परेशान करना शुरू किया। विरोध करने पर उन्होंने उसके चेहरे पर शराब की बोतल दे मारी, जिससे उसका चेहरा लहूलुहान हो गया और तीन दांत टूट गए।
घायल अवस्था में दीपाली किसी तरह रोती-बिलखती घर पहुंची, जहां से परिजन उसे इलाज के लिए सोहना अस्पताल और फिर नल्हड़ मेडिकल कॉलेज ले गए। डॉक्टरों ने उसके चेहरे पर 35 टांके लगाए। वह कुछ बोल भी नहीं पा रही है और ना ही खाना या पानी ठीक से पी सकती है।
पुलिस की लापरवाही खुलकर सामने आई
घटना के तुरंत बाद परिवार ने 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी और अगले दिन (13 जुलाई) थाना जाकर लिखित शिकायत भी दी, लेकिन पुलिस ने ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा का हवाला देकर कार्रवाई टाल दी। 15 जुलाई तक भी FIR दर्ज नहीं हुई थी। जब पीड़ित परिवार ने मीडिया बुलाने और थाने में धरना देने की चेतावनी दी, तब जाकर पुलिस हरकत में आई और रात को मामला दर्ज किया।
थाना प्रभारी से कई बार फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन उठाना भी जरूरी नहीं समझा। बाद में पुलिस प्रवक्ता कृष्ण कुमार ने बताया कि दो अज्ञात युवकों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और उन्हें जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
इस दर्दनाक घटना को लेकर कांग्रेस नेता और सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा ने सोशल मीडिया मंच X पर हरियाणा सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने लिखा,
“हरियाणा की बेटियां खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। 17 साल की मासूम बेटी को शराब की बोतल से चेहरा फोड़ दिया गया, 35 टांके आए, फिर भी 4 दिन तक FIR नहीं हुई। यह भाजपा सरकार की संवेदनहीनता का प्रतीक है।”
परिवार की स्थिति:
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर निवासी पीड़िता का परिवार 2024 से नूंह में रह रहा है। पिता ड्राइवर हैं और दीपाली डी-फार्मा की छात्रा है। घटना के बाद से वह मानसिक और शारीरिक रूप से बेहद आहत है। मां ने बताया कि उन्हें थाने में घंटों बैठना पड़ा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
इस घटना ने एक बार फिर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा, पुलिस की निष्क्रियता और शासन की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।