मेरा दिल बड़ा दुखता है, मैं आज अपना दुखड़ा सुना रहा हूं : समालखा नपा चेयरमैन

पानीपत राजनीति हरियाणा

समालखा नगर पालिका के चेयरमैन अशोक कुच्छल ने कहा कि मैं जब 13 महीने पहले नपा का चेयरमैन बना तो मैंने समालखा में बदलाव के लिए बड़े-बड़े सपने देखे थे। चेयरमैन बनने से पहले भी मैंने लोगों को बड़े वादे किए थे, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है। मेरा दिल बड़ा दुखता है। आज मैं अपना दुखड़ा सुना रहा हूं।

चेयरमैन अशोक कुच्छल ने सिटी तहलका के संवाददाता से बातचीत में कहा कि आज देश में प्रधानमंत्री भाजपा के हैं, प्रदेश में मुख्यमंत्री भाजपा के हैं और जिले के सांसद भी भाजपा के हैं। इसके बादवजूद नगरपालिका के अधिकारी हमारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं। कुच्छल ने नपा के एमई और सचिव पर मनमानी और राजनीति करने का आरोप लगाया है। जिसकी शिकायत वह कमिश्नर से लेकर उपायुक्त तक कर चुके हैं।

अधिकारियों को पता नहीं किस की मिल रही शह

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चेयरमैन का कहना है कि कमिश्नर की ओर से इन अधिकारियों को लताड़ भी लगाई गई थी। 19 जुलाई को उपायुक्त भी समालखा का दौरा कर चुके हैं। फिर भी उनके व्यवहार में कोई फर्क नहीं है। सरकार चाहती है कि प्रदेश में हर जगह विकास हो, लेकिन अधिकारियों को पता नहीं किस की शह है।

मुख्यमंत्री को भी कर चुके हैं शिकायत

अशोक कुच्छल का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भी नपा अधिकारियों की शिकायत की गई है। वह 20 जुलाई को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री से मिले थे और उन्हें मामले से अवगत कराया था। चेयरमैन ने कहा कि आज सरकारी हमारी है, सब कुछ हमारा है और हमारी ही सुनवाई नहीं हो रही है।

छोटे-छोटे काम के लिए भी ताक रहे अधिकारियों के मुंह

नपा चेयरमैन ने कहा कि उन्हें छोटे-छोटे काम करवाने के लिए भी अधिकारियों मुंह ताकने पड़ रहे हैं। उन्होंने समालखा के सभी पार्षदों के साथ 6 जुलाई को कमिश्नर के साथ पानीपत में बैठक की थी। जिसमें कमिश्नर को सभी पार्षदों की समस्या से अवगत कराया गया था। उन्होंने कहा कि आज पार्षदों के 10-10 लाख के काम भी नहीं हो रहे हैं।

मुंह छिपाकर चलने को हैं मजबूर

कुच्छल ने कहा कि जब मैं चेयरमैन बना था तो सोचा था कि समालखा के लिए ऐसे काम करूंगा कि लोगों ने सपने में भी नहीं सोचे होंगे। आज समालखा नगर पालिका में सेनेटरी इंस्पेक्टर व अन्य अधिकारियों का टोटा है। एमई और सचिव अपनी मनमानी चलाते हैं। वह एक-दो पार्षद को अपने आप बैठाकर राजनीति करते हैं। पार्षदों के भी कोई कार्य और सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में उन्हें हलके में मुंह छिपाकर चलना पड़ रहा है। वह अपने सपनों को तो दूर, जनता से किए वादों पर भी खरे नहीं उतर पा रहे हैं।