गुड़गांव के निवासी भरत को घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए महीनों तक विभागीय दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े और आखिरकार हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिजली विभाग को 5,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
दरअसल, भरत ने 1 जनवरी 2025 को घरेलू उपयोग के लिए 2 किलोवाट के बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया था। आवेदन के बाद न तो उन्हें कोई अस्वीकृति सूचना मिली और न ही किसी प्रकार की स्पष्ट जानकारी दी गई। इसके बजाय, उन्हें विभाग के चक्कर लगवाए जाते रहे। अंततः 26 मार्च 2025 को उन्हें अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOC) जारी किया गया, लेकिन तब तक वे मानसिक रूप से काफी परेशान हो चुके थे।
आयोग की जांच में पाया गया कि इस देरी की कोई वैध वजह नहीं थी। आयोग के प्रवक्ता के अनुसार, निगम ने 24 दिसंबर 2024 को एक पत्र में खुद स्पष्ट किया था कि बिल्डर द्वारा मांगी गई बहु-बिंदु कनेक्शन की मंजूरी पहले ही, 30 मई 2024 को निगम के पूर्णकालिक निदेशकों द्वारा दे दी गई थी। इसके बावजूद अधिकारियों ने ‘विद्युतीकरण योजना’ के बहाने प्रक्रिया को रोके रखा, जबकि ऐसी योजना कॉलोनाइज़र या सरकारी एजेंसियों द्वारा दी जाती है, न कि तब जब कनेक्शन खुद निगम द्वारा दिया जा रहा हो।
आयोग ने इसे प्रशासनिक लापरवाही और नागरिक अधिकारों की अनदेखी करार दिया और कहा कि भरत यादव को बिना किसी गलती के मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। इसलिए उन्हें क्षतिपूर्ति स्वरूप 5 हजार रुपये का मुआवजा देना न्यायोचित है।