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हरियाणा में 6.36 लाख परिवारों का बीपीएल कार्ड रद्द, ग़लत आंकड़ों से मचा हड़कंप

हरियाणा

हरियाणा सरकार ने 30 जून को 6 लाख 36 हजार से अधिक परिवारों को गरीबी रेखा (BPL) की सूची से बाहर कर दिया है। यह कदम उस समय उठाया गया जब चार महीने पहले प्रदेश में BPL कार्डधारकों की संख्या 52.5 लाख थी, जो अब घटकर 46.1 लाख रह गई है। खाद्य आपूर्ति निदेशालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इन परिवारों को अगस्त से मिलने वाला मुफ्त राशन बंद कर दिया जाएगा। सरकार का तर्क है कि इन परिवारों की वार्षिक आय ₹1.80 लाख से अधिक हो गई है या इनके नाम महंगी गाड़ियां दर्ज हैं।

हालांकि, सरकार की इस कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कई जिलों से ऐसे मामले सामने आए हैं जहां गरीबों को बिना किसी समुचित सर्वे के BPL श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। एक बड़ी गड़बड़ी यह सामने आई है कि जिन लोगों के पास दोपहिया वाहन तक नहीं हैं, उनके नाम पर फैमिली ID में चारपहिया गाड़ियां रजिस्टर्ड कर दी गईं। इन त्रुटियों के चलते हजारों गरीबों को सरकारी योजना से मिलने वाला राशन बंद कर दिया गया है।

जमीनी हकीकत क्या है?

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झज्जर जिले के सुरखपुर गांव की महिलाओं—सुमन, कांता और सत्यवती—का बीपीएल कार्ड केवल इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि उनकी फैमिली ID में उनके नाम पर वाहन दर्ज हो गए, जबकि उनके पास कोई गाड़ी नहीं है। ये महिलाएं अब विभाग के दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं ताकि दोबारा कार्ड बन सके।

सिरसा जिले के मनोज कुमार, जो सब्जी की रेहड़ी लगाते हैं, के नाम पर तीन गाड़ियां चढ़ा दी गईं। मनोज के पास केवल एक साइकिल है, लेकिन जब वह राशन लेने गए तो पता चला कि कार्ड कट गया है। जांच में सामने आया कि ये तीनों गाड़ियां पड़ोसियों की हैं, लेकिन सिस्टम की गलती से मनोज के नाम दर्ज हो गईं।

कैथल जिले के धर्म सिंह का मामला भी ऐसा ही है। उनके बेटे के नाम पर गाड़ी खरीदी दिखा दी गई, जबकि परिवार की आर्थिक स्थिति एक पुरानी मोटरसाइकिल तक सीमित है। झज्जर के अकेहड़ी निवासी परमजीत और अन्य कई लोगों ने भी इसी तरह की शिकायतें की हैं।

चुनाव और कार्डों में हेरफेर का नाता?

सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच बीपीएल कार्डधारकों की संख्या अचानक बढ़ गई थी। दिसंबर 2023 से लेकर अक्टूबर 2024 (विधानसभा चुनाव से ठीक पहले), करीब 4.84 लाख नए BPL कार्ड बनाए गए। चुनावी साल में आयोजित “जनता दरबार” में भारी संख्या में लोगों के आय विवरण को जानबूझकर कम दिखाया गया ताकि उन्हें गरीबी रेखा में शामिल किया जा सके।

लेकिन अब जब भाजपा सरकार तीसरी बार सत्ता में लौट आई है, तो BPL सूची में बड़े पैमाने पर कटौती की जा रही है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब लोगों को महंगाई से राहत की जरूरत है, और सरकार द्वारा एक झटके में हजारों लोगों को योजना से बाहर कर देना गरीबों के लिए एक गंभीर संकट बन गया है।

पहले भी हो चुकी है छेड़छाड़ की शिकायत

हिसार जिले में दो साल पहले फैमिली ID में छेड़छाड़ कर BPL कार्ड बनवाने वाले एक रैकेट का पर्दाफाश हुआ था। सीएससी संचालक 2-3 हजार रुपए लेकर ID में फेरबदल कर गरीबों की श्रेणी में नाम चढ़वा देते थे। इस मामले में पुलिस ने 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।


सरकार की इस कार्रवाई में प्रशासनिक पारदर्शिता और तकनीकी निगरानी की गंभीर कमी दिखाई दी है। जहां पात्र लोग बिना कारण BPL सूची से बाहर हो गए, वहीं चुनावी लाभ के लिए इस सूची का पहले इस्तेमाल किया गया। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या गरीबों के अधिकार सिर्फ एक राजनीतिक औजार बनकर रह गए हैं?